नमस्कार, दोस्तों कैसे हैं आप लोग आज का मेरा पोस्ट हैं भारत की वैज्ञानिक प्रगति ( Bharat Ki Vaigyanik Pragati ) तो दोस्तों सामान्य मनुष्य की सृष्टि का रचयिता सर्वशक्तिमान ईश्वर है, जो इस संसार का निर्माता, पालनकर्ता और संहारकर्ता है। आज विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि वह ईश्वर के प्रतिरूप ब्रम्हा ( निर्माता) , विष्णु ( पालनकर्ता ) और महेश ( संहारकर्ता ) को चुनौती देता प्रतीत हो रहा है।
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प्रस्तावना
कृत्रिम गर्भाधान से परखनली शिशु उत्पन्न करके उसने ब्रम्हा सत्ता को ललकारा है, बड़े – बड़े उद्योगों की स्थापना कर और लाखों – करोड़ों लोगों को रोजगार देकर उसने विष्णु को चुनौती दी है तथा सर्व – विनाश के लिए परमाणु बम का निर्माण कर उसने शिव को चकित कर दिया है।
विज्ञान का अर्थ है- किसी भी विषय में विशेष ज्ञान। विज्ञान मानव के लिए कामधेनु की तरह है जो उसकी सभी कामनाओं की पूर्ति करता है तथा उसकी कल्पनाओं को साकार रूप देता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान प्रवेश कर चुका है चाहे वह कला का क्षेत्र हो या संगीत और राजनीति का । विज्ञान ने समस्त पृथ्वी और अन्तरिक्ष को विष्णु के वामनावतार की भाँति तीन डगों में नाप डाला है।
स्वतन्त्रता पूर्व और पश्चात् की स्थिति
बीसवीं शताब्दी को विज्ञान के क्षेत्र में अनेक प्रकार की उपलब्धियाँ हासिल करने के कारण विज्ञान का युग कहा गया है। आज संसार ने ज्ञान – विज्ञान का युग कहा गया है। आज संसार विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अधिक प्रगति कर ली भारत भी इस क्षेत्र में किसी अन्य वैज्ञानिक दृष्टि से उन्नत कहे जाने वाले देशों यदि आगे नहीं, तो बहुत पीछे या कम भी नही हैं।
15 अगस्त, सन् 1947 में जब अग्रेजों की गुलामी का जूआ उतार कर भारत स्वतन्त्र हुआ था, तब तक कहा जा सकता है कि भारत वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर शून्य से अधिक कुछ भी नही था। सूई तक का आयात इंग्लैण्ड आदि देशों से करना पड़ता था।
सूई से लेकर आज हवाई जहाज, जलयान, सुपर कम्प्यूटर, उपग्रह तक अपनी तकनीक और बहुत कुछ अपने साथनों से इस देश में ही बनने हैं। लगभग पाँच दशकों में इतनी अधिक वैज्ञानिक प्रगति एवं विकास करके भारत ने केवल विकासोन्मुख राष्ट्रों को ही नहीं, वरन् उन्नत एवं विकसित कहे जाने वाले राष्ट्रों को भी चकित कर दिया है। भारतीय प्रतिभा का लोहा आज सम्पूर्ण विश्व मानने लगा है।
विभिन्न क्षेत्रों में हुई वैज्ञानिक प्रगति
डाक – तार के उपकरण, तरह – तरह के घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामान, रेडियों – टेलीविजन, कारें, मोटर, गाड़ियाँ , ट्रक, रेलवें इंजिन और यात्री तथा अन्य प्रकार के डिब्बे, काल – कारखानों में काम आने वाली छोटी – बड़ी मशीनें, कार्यालयों में काम आने वाले सभी प्रकार के सामान, रबर- प्लास्टिक के सभी प्रकार के उन्नत उपकरण, कृषि कार्य करने वाले ट्रैक्टर, पम्पिंंग सेट तथा अन्य कटाई – धुनाई – पिसाई की मशीनें आदि सभी प्रकार के आधुनिक विज्ञान की देन माने जाने वाले साधन आज भारत में ही बनने लगे हैं।
कम्प्यूटर, छपाई की नवीनतम तकनीक की मशीनें आदि भी आज भारत बनाने लगा हैं। इतना ही नहीं, आज भारत में अनु शक्ति से चलित धमन भट्टियाँ बिजली घर, कल – कारखाने आदि भी चलने लगे हैं तथा अणु – शक्ति का उपयोग अनेक शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए होने लगा हैं। पोखरण में भूमिगत अणु – विस्फोट कने की बात तो अब बहुत पुरानी हो चुकी हैं।
आज भारतीय वैज्ञानिक अपने उपग्रह तक अन्तरिक्ष में उड़ाने तथा कक्षा में स्थापित करने में सफल हो चुके हैं। आवश्यकता होने पर संघातक अणु, कोबॉल्ट और हाइड्रोजन जैसे बम बनाने की दक्षता भी भारतीय वैज्ञानिकों ने हासिल कर ली है। विज्ञान – साधित उपकरणों , शस्त्रास्त्रों का आज सैनिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व बढ़ गया है।
अपने घर बैठकर शत्रु देश के दूर – दराज के इलाकों पर आक्रमण कर पाने की वैज्ञानिकों द्वारा बनायी गयी है जो आज भारतीय सेना के पास हैं और अन्य अनेक का विकास – कार्यक्रम अनवरत चल रहा हैं। युद्धक टैंक, विमान, दूर – दूर तक मार करने वाली तोपें आदि भारत में ही बन रही हैं। कहा जा सकता है कि आधुनिक ज्ञान – विज्ञान की सहायता से विश्व के सैन्य अभियान जिस दिशा में चल रहे हैं भारत के उस दिशा में किसी से पछे नही है।
गणतन्त्र दिवस की परेड के अवसर पर प्रदर्शित उपकरणों से यह स्पष्ट हो जाता हैं। फिर भी भारत को इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना हैं।
स्क्वैड्रन लीडर राकेश शर्मा 1984 ई0 में रूसी अन्तरिक्ष यात्रियों के साथ अन्तरिक्ष में स्थापित कर भारत विश्व की महाशक्तियों के समकक्ष खड़ा है।
आधुनिक विज्ञान की सहायता से आज भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी प्रगति की हैं। एक्सरे, लेसर किरणें आदि की सहायता से अब भारत में ही असाध्य समझे जाने वाले अनेक रोगों के उपचार से अब भारत में ही असाध्य समझे जाने वाले अनेक रोगों ेक उपचार होने लगें है। ह्दय – प्रत्यारोपण जैसे कठिन – से – कठिन माने जाने वाले ऑपरेशन आज भारतीय शल्य – चिकित्सकों द्वारा सफलतापूर्वक सम्पादित किये जा रहे हैं। सभी प्रकार की बहुमूल्य प्राण – रक्षक ओषधियों का निर्माण भी यहाँ होने लगा हैं।
महानगरों में गगनचुम्बी इमारतों का निर्माण, सड़कें, फ्लाईओवर, अब – वे आदि हमारी अभियान्त्रिकीय प्रगति को दर्शाते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के भीतर से जल, अनेक खनिज और समुद्र को चीर कर तेल के कुएँ भी खोज निकाले हैं। बॉम्बे हाई से तेल का उत्खनन इसका जीता – जागता उदाहरण है।
कुछ एक अपवादों को छोड़कर, भारत में अधिकांश कार्य हाथों के स्थान पर मशीनों से हो सकने सम्भव हो गये हैं। मानव का कार्य अब इतना ही रह गया है कि वह इन मशीनों पर नियन्त्रण रखे। आटा पीसने से लेकर गूँधने तक फसल बोने से लिकर अनाज को बोरियों में भरने, वृक्ष काटने से लेकर फर्नीचर बनाने तक सभी कार्य भारत में निर्मित मशीनों द्वारा सम्पन्न होने लगे हैं।
विज्ञान ने मानव के दैनिक जीवन के लिए भी अनेक क्रान्तिकारी सुविधाएँ जुटायी हैं। रेडियों फैक्स, रंगीन टेलीविजन , टेपरिकॉर्डर, वी0 सी0 आर0, सी0 डी0 प्लेयर, दूरभाषा, कपड़े धोने की मशीन, धूल – मिट्टी हटाने की मशीन, कूलर, पंखा, फ्रिज, एयरकण्डीशनर, हीटर आदि आरामदायक मशींने भारत में ही बनने लगी है, जिनके अभाव में मानव – जीवन नीरस प्रतीत होता है।
घरों में लकड़ी – कोयले से जलने वाली अँगीठी का स्थान कुकिंग गैस ने और गाँवों में उपलों से जलने वाले चूल्हों का स्थान गोबर गैस संयन्त्र ने ले लिया है। चलचित्रों के क्षेत्र में हमारी प्रगति सराहनीय हैं। कम्प्यूटर का प्रवेश और उसका विस्तार हमारी तकनीकी प्रगति की और इंगित करते हैं।
उपसंहार
घर – बाहर, दफ्तर – दुकान, शिक्षा – व्यवसाय, आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ विज्ञान का प्रवेश न हुआ हो। भारत का होनहार वैज्ञानिक हर दिशा, स्थल और क्षेत्र में सक्रिय रहकर अपनी निर्माण एवं नव – नव अनुसन्धान – प्रतिभा का परिचय दे रहा है। ितना ही नही भारतीय वैज्ञानिकों ने विदेेशों में भी भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभा की धूम मचा रखी है। आज भारत में जो कृषि या हरित क्रान्ति,श्वेत क्रान्ति आदि सम्भव हो पायी है, उन सबका कारण विज्ञान और उसके द्वारा प्रदन्त नये – नये उपकरण तथा ढंग ही हैं।
आज हम जो कुछ भी खाते – पीते और पहनते हैं, सभी के पीछे किसी – न – किसी रूप में विज्ञान को कार्यरत पाते हैं। विज्ञान को कार्यरत करने वाले कोई विदेशी नहीं, वरन् भारतीय वैज्ञानिक ही हैं। उन्ही की लगन, परिश्रम और कार्य – साधना से हमारा देश भारत आज इतनी अधिक वैज्ञानिक प्रगति कर सका है।