Ah ki Matra Wale Shabd || Visarg Ki Matra

अगर आप Ah ki Matra Wale Shabd की खोज कर रहें हैं तो आप सही साइट पर आ चुके हैं। आपको इस पोस्ट में अ: की मात्रा से रिलेटेड सभी तरह के शब्द मिल जायेंगे जैसे- आसान शब्द, कठिन शब्द और इससे सम्मबन्धित वाक्य भी मिल जायेंगे तो चलिये आज का ब्लाग शुरु करते हैं।

नमस्कार आज का ये पोस्ट हैं अः की मात्रा वाले शब्द Ah ki Matra Wale Shabd जो स्वर वर्ण के अन्त का  तेरहवा वर्ण हैं। हिन्दी में कभी- कभी अः मात्रा वाला शब्द Ah ki Matra Wale Shabd आ जाता हैं। इस लिए इन मात्रा को  बच्चों को सिखाना जरूरी होता हैं। बच्चों को नर्सरी से ही ये सब बताना जरूरी होता हैं क्योकि ये सब वर्ण शूरू के हैं । अः की मात्रा में ह का उच्चारण बाद में आता हैं।

Ah ki Matra Wale Shabd Hindi

यही से छोटे विद्यार्थीयों का पढ़ाई स्टर्ट होता हैं। मात्रा का पहचान से ही दिया जाता हैं। इस लिए अब आप अः की मात्रा Ah ki Matra Wale Shabd  भी सीखे। सभी माता – पिता टीचर यही बच्चों धीरे – धीरे सीखना शुरू करते हैं। तब जाकर वह हिन्दी पढ़ने का प्रयास करते हैं। तभी बच्चे पढ़ भी पाते है इसी तरह क्लास दो, तीन, चार, के क्लास  में जाते – जाते वह पूरी तरह से हिन्दी सीख ही लेते है।

अः की मात्रा वाले शब्द
Ah ki matra wale shabd

 

Hindi Ah ki Matra Wale Shabd

तब उनको हिन्दी पढ़ने कोई समस्या नही होती । तो बच्चों हम अः की मात्रा वाला शब्द लिखेगे। आगे के पोस्ट में हम आप लोगों को अ से लेकर अं तक का आर्टिकल लिख चुके हैं। अब ये स्वर के अंत वाला वर्ण का  तेरहवा वर्ण हैं। तो बच्चों इस पोस्ट में, मैं आप लोगों को अः की मात्रा वाला शब्द टेबल की माध्यम से लिखेगें जो आप लोगों को पढ़ने में काफी असान दिखेगा। और अच्छा भी लगेगा।

अः की मात्रा वाले शब्द के साथ में, मैं आप लोगो को इन्ट्रेस्ट काहानी का आर्टिकल लिखूँगी। जो पढ़ने में काफी अच्छा लगेगा। और मात्रा को समझते हुए आप हिन्दी भी पढ़ना चाहेगें ही इस लिए मैं आप लोगो के लिए मजेदार कहानी लायी हूँ। छोटे बच्चों को कहानियाँ सुनना और पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। बड़े – बुजुर्गों द्वारा कही गई कहानियाँ वे बहुत रूचि से सुनते हैं।

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Ah ki Matra Wale do Akshar wale aur teen askhar wale shabd

अब हम दो अक्षर, तीन अक्षर, चार अक्षर शब्दों को अः की मात्रा में लिखेंगे।

  • अः की मात्रा का दो अक्षर वाले शब्द
  • अः की मात्रा का तीन अक्षर वाले शब्द
  • अः की मात्रा वाला 10 वाक्य लिए।

अः की मात्रा का दो अक्षर वाले शब्द Ah ki Matra Wale Shabd

अतः पुनः नमः
प्रातः दुःख एकः 
फलः  देवाः  कृताः
नभः नमोः कथाः
मित्रः प्रायः क्रमः
पुत्रः यज्ञः तत्रः
वनः नभः कुलः
ठगः खगः स्वतः
तपः शनैः छः
शतः वनः नामः

 

Ah ki Matra Wale तीन अक्षर वाले शब्द

प्रणामः कर्मणः कलशः
शतशः बालकः पूर्णाःवती
भवतः युवकः मुख्यतः
मूलतः प्रातःकाल भूर्भुवः
विशेषतः उपाधयः अंततः
प्रायशः फलतः सम्भवः
क्रमशः निःसंदेह दुःशासन
संंभवतः नृतयः मनोहरः
शंकरः सुशान्ताः शुमेच्छाः
भवतः सामान्यतः कलशः

 

अः की मात्रा वाला 10 वाक्य

Ah ki Matra Wale 10 Sentence

  • छः कलर का पेन मेरे पास हैं।
  • पुनः शालू अपने गांव गयी।
  • अतः आप से अनुरोध है।
  • प्रातः दादा जी टहलते थे।
  • दुः होने की कोई बात नहीं है।
  • क्रमशः गेट के अन्दर चलो।
  • निःसंकोच राम से बात कर लो।
  • प्रातःकाल की हवा अच्छी होती है।
  • ऊँ नमः, शिवाय का जाप करो।
  • निःशुल्क में सर कोंचिग पढ़ाते है।
  • दुःशासन धृतराष्ट का पुत्र था।
  • अतः आप लोग यहा से चले जाए।

 

बच्चोंं की कहानी-

हीरा – कुणी की

तो आइए दोस्त अब हम आप लोगो एक अच्छी सी कहानी पढ़ते हैं जो हीरा- कुणी कहानी हैं। एक माँ की ममता और बच्चे की माँ के लिए तड़प को उजागर करती हुई एक कहानी जो मन को छू लेती है।

एक ग्वालिन थी, नाम था हीरा, और उसकी एक गाय थी जिसका नाम था कुणी। हीरा एक महीने का बच्चा था। गाय की भी एक महीने की बछिया थी। हीरा रायगढ़ के पर्वत पर चढ़कर महाराष्ट्र के राजा को दूध देने जाया करती थी। राजा, कुणी गाय का दूध पीकर आनंद मनाता था।

बछिया रोती रहती थी। हीरा के मन में बछियां के लिए किसी भी दिन दया नहीं जागती थी। दूध दुहने के समय कुणी गाय रह – रहकर बछिया को पुकारती थी। बछिया दौड़कर दूध पीने के लिए आती, पर हीरा उसे लौटा देती। उसे खूँटे से बाँधे रखती थी। हीरा का ध्यान उधर कभी नही जाता था। वरह तो सुबह – शाम दूध दुहकर, उसे बेचने के लिए राजा के किले में चली जाती थी। रात होने से पहले ही हीरा किले से लौट आती थी।

पहले, अपने बच्चे को दूध पिलाती, थपकियाँ देकर सुला देती, फिर बछिया को पकड़कर कुणी के पास लो जाती। बछिया लपकर अपनी माँ की गोद में जा पहुँचती, दूध जरा -सा ही पी पाती थी। कुणी अपनी बछिया के तन को चाटकर सुला दिया करती थी। बछिया भूखी रह जाती थी और राजा धूध पीकर मौज मनाता था। इसी तरह दिन बीतते रहे।

एक दिन हीरा दूध बेचने के लिए किले में गई। वहाँ दूध का मूल्य चुकाने में राजा के कोषाध्यक्ष ने देर लगा दी। शाम का घंटा बज गया। किले का फाटक बंद कर दिया गया। हीरा बोली, ‘‘द्वार खोलो।’’

पहरेदार ने कहा, ‘‘ आज्ञा नहीं है।.’ हीरा का मन बच्चे के लिए छटपटाने लगा। वह रोकर कहने लगी, मेरा मुन्ना भूखा है, तुम्हारे पैर पड़ती हूँ, फाटक खोल दोष राजा के पत्थर – दिल पहरेदार ने द्वार नहीं खोला। बालका को दूध पिलाने के लिए माँ की छाती फटने लगी। उसने फाटक की जंजीर पकड़कर हिलाई और फिर विनती की, लेकिन पहरेदार ने नही सुनी हीरा की बात।

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सूरज छिप गया। पक्षी पंख फैलाकर अपने बसेरों की ओर उड़ चले। किले के मध्य भाग में, देवमंदिर के ऊपर साँझ का तारा दीखने लगा। हीरा रोकर मन ही मन कहने लगी – ‘‘ काश, मुझे पंख मिल जाते और मैं अपने लाल के पास पहुँच जाती । वह दूध पीेये बिना बिलख रहा होगा।’’

पहाड़ के नीचे तराई में ही हीरा का घर था। कुणी गाय अपनी बछिया को पुकार रही थी। वहाँ से उसकी पुकार हीरा को सुनाई पड़ी। वह दूध की मटकी पटकर उठ खड़ी हुई। वह किसी रास्ते की खोज करने लगी।

किले की दीवार पुरानी थी। एक जगह पर किनारे से पहाड़ से पहाड़ धँस गाय था। एक पीपल का पेड़ दीवार पर झुका था। उसी जगह पर आधी रात में चांदनी पड़ रही थी। हीरा ने चांदनी में देखा कि चट्टानों की नोकें घड़ियाल के बड़े – बड़े दाँतो की तरह चमक रही है। हीरा उसी रास्ते से धीरे – धीरे वहा से उतरी। पत्थर के रास्ते   हीरा  किसी तरह अपने घर जा पहुँच गई।

आधी रात हो गई , पहाड़ से उतरते – उतरते भोर होने लगा। बच्चा रो – रोकर सो गया था। हीरा बच्चे देखी और छाती से लगाकर दूध पिलाने लगी। उधर अपने बन्धो को छुड़कर  कुणी की भूखी बछिया  भी  दूध पीने लगी।

हीरा ने उस दिन उसे बाँधा नही। हीरा को अब एहसास होने लगा जब उसका बच्चा भूख सोया, इसी तरह कुणी भी अपने बच्चे के लिए तड़ती है।

सुबह हो गया । दिन निकले  लगा।  सुबह होने पर जब राजा का नींद खुला तो कुणी का दूध पीने के लिए माँगने लगा। हीरा दूध लेकर वापस चली गयी थी। राजा के सिपाही हीरा के घर गया दूध लाने के लिए। हीरा ने उनको सारी बात बताई और बोली दूध सारा सुख गया।’‘ वह राजा का सिपाही था। वह उसके बात यकीन नही हुआ। हीरा को पकड़कर वह किले में लाया। राजा ने हीरा से सारी कहानी सुनी।

उसका दिल पिघला। राजा ने हीरा को एक गाँव जागीर में दे दिया और जिस मार्ग से हीरा अपने जीवन को संकट में डालकर, अपने बच्चे को समीप जा पहँची थी, राजा ने उस कठिन रास्ते का नाम रखा – ‘हीरा – कुणी’

 

 

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