Viram Chinh (Punctuation Marks) || विराम चिन्ह

बच्चों दिये गये आज का पोस्ट में विराम चिन्ह Viram Chinh (Punctuation Marks) का जानकारी उपलब्ध कराऊँगी । जो छोटे विद्यार्थी के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। छोटे बच्चें जब हिन्दी पढ़ते है तो वह जान नही पाते मुझे कहा रूकना हैं। जहा मन करता हैं वही रूक जाते हैं । जबकिं वाक्य अच्छे से नही बैठ पाता है इसी लिए हिन्दी में मैं आप को विराम चिन्ह  Viram Chinh (Punctuation Marks) का पोस्ट लिख रही हूँ।

Viram Chinh (Punctuation Marks)

दोस्तों आप लोग अपने बच्चें को इस matra wale साइट से बच्चों को जानकारी दिलाए। ताकि उनको समझ में आ जाए Viram Chinh (Punctuation Marks) विराम चिन्ह क्या है। ये कक्षा -1,2 से ही स्कूल में टीचर सिखाना शुरू कर देते हैं। हिन्दी को जब अच्छें पढ़ने आने लग जाते है। उसका सिम्बल भी बताते है जो देखते ही पता चल जाता हैं। ये किसका चिन्ह  हैं। तो दोस्तों मैं आप लोगों को Viram Chinh (Punctuation Marks) विराम चिन्ह को समझाऊँगी। जो आप लोगों असानी समझ में आ जाएगा और अपने बच्चों को समझा लेंगे।

देखिए अब मैं विराम चिन्ह Viram Chinh (Punctuation Marks) को उदारण देकर बताऊँगी । जो काफी असान तरीका है। ये चिन्ह हम बात कहने – सुनने और पढ़ते – लिखते समय प्रयोग में लिया जाता है। रूकावट का संकेत देने वाले लिखित चिन्हों को विराम कहते है। आज जो विराम चिन्ह Viram Chinh (Punctuation Marks) प्रचलन में है, वे अधिकांशतः अंग्रेजी से आए है, लेकिन प्रयोग के स्तर पर हिन्दी ने इन्हे अपना लिया हैं। वे इस प्रकार है।

विराम चिन्ह कितने प्रकार के होते  है।

1- पूर्ण विराम चिन्ह ( Full  stop ) ( । ) Viram Chinh (Punctuation Marks)

यह वाक्य के अंत में लगाया जाता है।

जैसे –  सुबह का समय था।  पक्षी चहचहा रही थी।  बच्चे खेल रहे थे।  लोग इधर – उधर घूम रहे थे।  शालू की मम्मी बुला रही थी। पूजा बजार जाएगी। लड़का फिल्ड में खेलता था।

2- अल्प विराम चिन्ह ( Comma ) ( , )

बात करते समय जहाँ थोड़ा रूकना हो, वहाँ अल्पविराम चिन्ह लगाया जाता है। यह एक ही तरह के अनेक शब्दों या वाक्यों के शुरू में आने वाले हाँ या नहीं के बाद लगता है।

जैसे –  दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व चेन्नई भारत के प्रमुख नगर हैं।

* हाँ, तुम आज ही चले जाओ।

* तुम कब खेलने चलोगे, मोहित ?

* घर चलो, माँ बुला रही है।

Viram Chinh (Punctuation Marks)
Viram Chinh (Punctuation Marks)


3. प्रश्नवाचक चिन्ह ( Question MarK ) ( ? ) Viram Chinh (Punctuation Marks)

जिस वाक्य में प्रश्न पूछा जाता है , वहाँ प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया जाता है।

जैसे – कब, क्यों, कैसे, क्या, कितना, कौन।

* आप कहाँ जा रहे हैं ? कब लौटेंगे ?

* तुम क्या कर रहे हो ? ऐसा तुमने क्यों किया ?

* तुम कौन – से शहर में रहते हो हो ? तुम्हारे विद्यालय का क्या नाम है ?

* तुम क्या लिखना चाहते हो ? तुमने कैसे लिखा ?

4. विस्मयवाचक चिन्ह ( Sign of Exclamation ) ( ! ) Viram Chinh (Punctuation Marks)

जहाँ बात करते समय वाक्यों में खुशी ! दुख ! हर्ष ! आश्चर्य ! प्रशंसा ! भय ! आदि भावों या संबोधन सूचक शब्दों के अंत में लगाया जाता है।

जैसे –

*  कितना सुंदर फूल हैं !

* वाह ! आपने तो कमाल कर दिया ।

* लड़को ! अब खेलना बंद करों।

* अरे ! कीचड़ से मत खेलो ।

* छि ! मक्खियाँ बहुत है।

* हे राम ! ये क्या हो गया ?

5. योजक या विभाजक  ( Hyphen ) ( – ) 

वाक्यों में दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक ( – ) का प्रयोग होता है।

जैसे – 

* चलते – चलते पहुँच ही जाएँगे।

* वह दिन – रात परिश्रम कर रहा है।

* हम धीरे – धीर चल रहे हैं ।

* हमारे माता – पिता आज आएँगे।

* वह कभी – कभी मिलता था।

* वह ज्यादातर दाल – भात खाता है।

* आज पाप- पुण्य पर कोई विश्वास नहीं करता ।

6. उद्धरण चिन्ह ( Inverted Commas ) ( ‘‘ ’’   ‘  ’ ) 

जब किसी के कथन को ज्यों का त्यों लिखा जाता है, तब उद्धरण चिन्ह का प्रयोग होता है।

जैसे – 

* मुकुल ने कहा, ‘‘मैं बाजार से सामान ले आऊँगा ।’’

* सम्राट अशोक ने कहा, ‘‘विजय शस्त्र की नहीं, धर्म की श्रेष्ठ है।’’

* सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

* ‘उलटा चोर कोतवाल को डाँटे’।

* बाल गंगाधर तिलक ने कहा था – ‘‘स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’’

  • विराम चिन्ह का अर्थ  है – रूकने का संकेत।
  • भाषा के लिखित रूप में विराम देने या रूकने तथा उतार – चढ़ाव के स्पष्टीकरण के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते है।

 

विराम चिन्ह की कहानी Viram Chinh (Punctuation Marks)

शिष्टाचार से पहले विनम्रता आती है। हमारी वाणी में, हमारे व्यवहार में विनम्रता होनी चाहिए। किसी बात का उत्तर ऐसे नहीं देखना चाहिए कि सुननेवाले को लगे की लट्ठ मारा जा रहा है। हमारी वाणी में मिठास रहनी चाहिए, कटुता या कर्कशता नहीं। विनम्रता केवल भाषा की वस्तु नहीं होती।

हमारे कर्म में भी विनम्रता होनी चाहिए। अपने यहाँ आये हुए अतिथि का प्रसन्नता से स्वागत और यथोचित सत्कार करना चाहिए। अपने से बड़े व्यक्तियों के बैठने पर ही बैठना चाहिये। महिलाओं के प्रति हमारे व्यवहार में और भी विनम्रता होनी आवश्यक है। बस या रेल में किसी महिला को खड़ी देखकर अपनी सीट उन्हें बैठने के लिए देना शिष्ट आचरण है।

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एक बार राज्य में कुछ समय तक वर्षा नहीं हुई, जिससे खाने – पीने में कमी हो गई। राजा ने जब प्रजा के पासे अनाज कम होने की बात सुनी तो उसने तुरंत अनाज के भंडार खोल दिए। राजा ने यह भी निश्चिय किया कि निर्धन लोगों में वह अपने प्रिय हाथी के बराबर तौल कर सोना बांटेगा।

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राजा अपने हाथी को बहुत प्यार करता था। उसके लिए वह हाथी बहुत मूल्यवान था। हाथी भी राजा को बहुत प्यार करता था और अनेक युद्धों मे अपनी बहादुरी तथा साहस दिखा चुका था। यद्यपि अब वह बूढ़ा हो गया था। और अधिक काम करने में असमर्थ था, फिर भी राजा का प्रेम उसके लिए ज्यों- का- त्यों बना हुआ था। अब भी राजा कभी- कभी उस पर सवारी करता और जंगल में घुमा कर बहुत संतुष्ट होता ।

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विराम चिन्ह वाला कहानी Viram Chinh (Punctuation Marks)

देखी मैनें आज जरा!
हो जावेगी क्या ऐसी ही मेरी यशोधरा ?
हाय ! मिलेगा मिट्टी में वह वर्ण – सुवर्ण खरा ?
सूख जाएगा मेरा बगीयाँ, जो है आज हरा ?
सौ सौ रोग खड़े हों सम्मुख, पशु ज्यों बाँध परा, 
धिक् ! जो मेरे रहते, मेरा चेतन जाय चरा !
खाली थोड़ा  है क्या सब अन्दर, बाहर भरा भरा ?
किछ न किया, यह सूना भव भी यदि मैंने न तरा। 

इस पद्यांश पर प्रश्न – उत्तर बनाकर  लिखा जाए। Viram Chinh (Punctuation Marks)

प्रश्न -1. सिद्धार्थ ने क्या देखा?

उत्तर – सिद्धार्थ ने बूढ़े व्यक्ति को देखा।

प्रश्न-2. देखकर उन्होंने क्या सोचा ?

उत्तर – वृद्धावस्था की दयनीयता को देखकर सिद्धार्थ दुखी हो गए। उन्होंने सोचा कि उनकी पत्नी यशोधरा की भी क्या ऐसी ही दशा हो जाएगी।

प्रश्न-3. उनके मन में क्या चिंतन चल रहा था ?

उत्तर – वे सोच रहे थे कि उनका जीवन इसी प्रकार दीन- हीन हो जाएगा। उन्हें दूसरों के सहारे पर निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसे जीवन को धिक्कार है। यदि मैंने इस सूने निस्सार संसार से पार नहीं पाया तो मैने जीवन में कुछ भी नहीं किया।

प्रश्न- 4. ऐसी ही अन्य परिस्थितियों का सिद्धार्थ के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर – सिद्धार्थ सब कुछ त्याग कर ज्ञान- प्राप्ति के लिए निकल पड़े और उन्होंने  बुद्धत्व प्राप्त किया।

तो दोस्तों आज का मेरा विराम चिन्ह का पोस्ट हैं। जो विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण  हैं। हिन्दी मात्रा के साथ में इसको भी सिखना जरूरी है। बिना विराम चिन्ह से हिन्दी वाक्य नही बैठता, इस लिए हिन्दी के सभी स्टूडेन्ट को यह पोस्ट पढ़ना अनिवार्य  है। आज मेरा पोस्ट कैसा लगा, मुझे आशा हैं आप लोगों को अच्छा लगा होगा।  अगर पसन्द आया हो तो कमेन्ट बाक्स में अपनी बात को लिखिए।

 

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