1. कारक और अव्यय किसे कहते हैं?

 

हल चिन्ह
1. कुछ शब्दों में हल चिन्ह का लोप हो चुका है। ऐसे शब्द हल चिन्ह के बिना ही लिखे जाएँ । जैसे –
श्रीमान   (न कि ‘श्रीमान’)                         महान    (न कि ‘महान्’)
विद्वान   (न कि  विद्वान्)                           सम्राट    (न कि सम्राट्)

2. कुछ शब्दों में हल चिह्न अभी प्रचलन में है। ऐसे शब्द हल चिह्न के साथ ही लिखे जाएँ । जैसे –
हठात्    सक्षात्   अर्थात्    राजन्   (संबोधन के रूप में )  भगवन्   (संबोधन के रूप में )

कारक के परसर्ग

1. संज्ञा शब्दों के साथ कारक के परसर्ग (ने,  को,  से,  का,  के,  की, में, पर)
बालक ने बालक को बालक से बालक के लिए
2.  सर्वनाम शब्दों के साथ कारक के परसर्ग मिलाकर लिखे जाएँ । जैसे –
मैनें  तुमने  आपने  उसने  उन्होंने  मुझको  आपको  उसको  मुझसे   तुमसे  आपसे   उससे   उनसे  मुझपर
तुमपर   आपपर   उसपर  उनपर

अव्यय

1. ‘तक’ ‘भर’ ‘मात्र’  और ‘जी’ जब अन्य शब्दों के बाद आएँ तब ये अलग करके लिखे जाएँ। जैसे –
आज तक     जीवन भर    दो रूपये मात्र     नेता जी
2. जब ‘मात्र’ शब्द से सामासिक पद बना हो तब ‘मात्र’ को संज्ञा शब्दों के साथ मिलाकर लिखा जाए। जैसे –
मानवमात्र                जीवनमात्र
3. जब ‘भर’  का प्रयोग  अन्य शब्दों के पहले आए तब इसे साथ मिलाकर लिखा जाए। जैसे –
भरपेट       भरदिन       भरपाई       भरपूर
4. व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों के मूल रुप में ‘श्री’ या ‘जी’ का प्रयोग पृथक् रुप में ही किया जाए। जैसे –
श्रीकृष्ण          श्रीकांत          शिवाजी        नेताजी
5. आदर  के लिए नाम के पहले ‘श्री ’ का प्रयोग पृथक्  रूप में  ही किया जाए। जैसे –
श्री  रमाकांत शर्मा            श्री मुरारी  प्रसाद

‘कर’ का प्रयोग

1. पूर्वकालिक क्रिया में ‘कर’ को क्रिया के साथ मिलाकर लिखा जाए। जैसे-
पढ़ना +  कर  =    पढ़कर                    दिखाना + कर   =   दिखाकर
खेलना  +  कर   =    खेलकर                 नचाना + कर    =   नचाकर
2. ‘करना’ और  ‘कराना’ से बनी पूर्वकालिक क्रियाएँ इस प्रकार बनाई जाएँ –
करना +  कर       करके                 (न कि ‘करकर’)
कराना  + कर       कराके                ( न कि ‘कराकर’)

‘वाला’ / ‘वाली’  / ‘वाले’ का  प्रयोग

1. क्रिया के साथ  ‘वाला’, ‘वाली’ या  ‘वाले’ हमेशा अलग ही लिखा जाए। जैसे –
आने वाला       जाने वाला      सोने वाली       पढ़ने वाले
2. ‘वाला’, ‘वाली’ या  ‘वाले’ जब योजक प्रत्यय  के रूप में प्रयुक्त हो और उसके बाद कोई अन्य संज्ञा शब्द न आया हो       तो इसे संज्ञा के साथ मिलाकर लिखा जाए। जैसे-
घरवाला       गाँववाला       दूधवाली
3. पदबंध में जब विशेषण के रुप में काम कर रहे शब्द समूह में ‘ वाला’, ‘वाली’, या ‘वाले’ आए तो उसे अलग करके
लिखा जाए। जैसे –
गाँव वाला मकान        नुक्कड़  वाली दुकान       बाग वाले पेड़

4. ‘वाला’,  ‘वाली’ या ‘वाले’ का प्रयोग निर्देशक के रूप में हो तो उसे अलग करके लिखा जाए। जैसे –
पहले वाला         अच्छा वाला      काली वाली      नीले वाले

‘य’ का रुप परवर्तन

1. जब ‘य’ किसी शब्द के अंत का मूल वर्ण हो तो ‘ये’ को ‘ए’ या ‘यी’ को, ‘इ’ न बनाया जाए जैसे –
भेड़िया – भेड़िये      (न कि भेड़िए)              गाय  – गायें    ( न कि ‘गाएँ’)
रूपया  – रूपये       ( न कि ‘रूपया’)         अव्यय – अव्ययी     (न कि ‘अव्यई’)

2. जब किसी शब्द के अंत का मूल वर्ण हो तो ‘ये’ को ‘ए’ या ‘यी’ को ‘ई’ के रूप में बदलकर लिखा जाए। जैसे –
खाया  – खाए  – खाई                      गाया  –  गाए – गाई            नया – नए – नई
नुक्ता वाले वर्ण (.क,  .ख,  .ग, .ज, .फ)

1. ‘क’ ‘ख’ और ‘ग’ का प्रचलन हिंदी में प्रायः लुप्त हो गया है। उर्दू, अरबी या फारसी से आए ‘ज’ और ‘फ’ के
उच्चारण वाले शब्दों में अवश्य लगाएँ।  जैसे-
.फसल      मु.फ्त        न.फरत        .फौरन        काग.ज     बाजी

अन्य मानक शब्द

1. उर्दू मूल के कुछ शब्द ऐसे हैं जिनमें संयुक्ताक्षर का प्रयोग न किया जाए । जैसे –
.फुरसत    इलजाम       इनकलाब       शरबत       गरदन       दफ्तर      सरकस     बरतन   अकसर    इनसान
इनकार    बिलकुल
2. हिन्दी – उर्दू  के निम्नलिखित शब्द मानक रूप में मान्य हैं-
दुहरा   दुहराना   दुगुना   दुमंजिला   कुहराम    एहसान     मुहल्ला       न्योछावर      उलटा     गलती      सुई
रूई     शुरू    रूई     शुरूआत     त्योहार    बालटी

               मौलिक जीवन कौशल

विश्व स्वास्थ्य संगठन – ने स्कुली शिक्षा प्रदान करने के क्रम में ऐसे मौलिक जीवन कौशलों पर बल देने का सुझाव दिया है  जिनका संबंध बच्चों के सर्वागीण विकास से है। ये जीवन कौशल इस प्रकार हैं।
1. स्व-जागरूकता –  यह कौशल बच्चों को उनकी पसंद व नापसंद की पहचान कराने में सक्षम बनाता है।
2. समस्या समाधान की क्षमता-  यह कोशल जीवन की समस्याओं से सकारात्मक रूप से निपटने की क्षमता विकसित करता है।

3. निर्णय क्षमता –  यह कौशल महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने में सहायक होता है और उनसे रचनात्मक रूप से निपटने में सक्षम बनता है।
4. विवेचनात्मक सोच – यह कौशल जीवन में अनुभवों का सकारात्मक मूल्याकंन कर पाने की क्षमता विकसित करने में सहायक होता है।

5. रचनात्मक विचार –  यह कौशल चीजों व घटनाओं को देखने और करने का अभिनव तरीका अपनाने की क्षमता विकसित करता है।
6. अंतर-वैयक्तिक संबंध-  यह कौशल, जिन व्यक्तियों से संप्रेषण होता है, उनसे सकारात्मक तरीके से जुड़ने की समझ विकसित करता है।
7. प्रभावी संप्रेषण –  यह कौशल शाब्दिक व गैर- शाब्दिक रूप से अपने विचार व्यक्त करने का सामर्थ्य बढ़ाने में सहायता देता है।
8. तदनुरूपता –  यह कौशल अपरिचित परिस्थितियों में स्वयं को ढालकर जीवन को समझने एवं जीने में सक्षम बनाता है।

9. भावनाओं पर नियंत्रण –  यह कौशल ऐसे कारकों से सकारात्मक रूप निपटने की क्षमता बढ़ाता है जो उत्तेजना पैदा कर सकते हैं या उद्वेलित कर सकते है।
10. तनाव से निपटने की क्षमता – यह कौशल अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को समझने और तनाव से निपटने में दक्षता प्रदान करता है।

 

 वर्ण का मेल (शब्द)

दो वर्णों का मेल-
ब + स = बस,    ह + ल  =   हल,      र +  थ  =  रथ,    फ +  ल =  फल,   ज +  ल =  जल,      घ +  र  =  घर,    म  + त  = मत,     च  + ख  + चख,     च +  ल =  चल,

तीन वर्णो का मेंल- 
म + ग + र =  मगर,     ब + त + ख  = बतख,     क + म + ल  = कमल,    म + द + न  = मदन,    म + ह + ल = महल,   श + ह + द  = शहद,     र + ग + ड़ =  रगड़,    स + ड़ + क = सड़क

चार वर्णो का मेल-
क +  ट +  ह  + ल   = कटहल,       अ + ज + ग + र   = अजगर,      ब + र+  ग + द  =  बरगद,
अ + ह  +म  + द  =   अहमद,     स +  र +  क +  श  = सरकश,     क + स + र + त =  कसरत,

शब्दों का मेल (वाक्य)

बोल-बोलकर पढ़िए

यश आ। शर रख। फल चख। घर चल। बस पर चढ़।
गम मत कर। रथ पर फल रख। नल पर जल भर ।
मदन मटर चख । नहर तक चल। कलश पकड़ । अमर इधर आ।
कलम उधर रख। महल तक चल। सड़क पर मत टहल। बतख मत पकड़।
अचकन पहन। बरतन रख । बरगद तक चल। अब कसरत कर।
पनघट पर घट रख। रथ पर कटहल रख। असगर और अहमद इधर आ। झटपट बस पर चढ़।

कहानिया दो वर्णों के आधार पर
मात्रा वाले शब्द

 

प्रश्न: कौशल कितने प्रकार के होते हैं?

वाचन कौशल

क. इन शब्दों को लय में पढ़िए-
तन    मन    धन    जन    घन
नगर    डगर     पहर     जहर     शहर
अचकन      पचपन      नटखट      सरपट      झटपट
ख.  इन वाक्यों को पढ़िए –
घर चल।  सच कह।  इधर ठहर। उधर टहल।
अहमद आ ।  अचकन पहन।  बरगद तक चल।

लेखन कौशल –

ग. वाक्य में छुटे शब्द भरिए –
1. पनघट पर ……………..रख।              ( घट / घर)
2. टमटम पर ……………….रख।              (कसरत / कटहल)
3. अदरक …………………  चख।            (मत / चख)
4. ……… पर मत टहल।                      (सड़क / कलश)

भाषा कौशल –
घ. वर्णो को जोड़कर शब्द बनाइए-
1. आ +   ग         =  …………..
2.  क  +  ल  +   श       =   …………
3.  न   +   म   +  न      =   ………..
4.  प  +   व     +  न     =   …………
5.  ज  +  म  + घ  +  ट     =  …………..
6.  द +  श +  र  +  थ      =   ……………

च.  शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाइए –
1. मदन  +   इधर   +  आओ   =    ………………
2. दस   +   जन    +    आए      =  …………….
3.  वह  +   कटहल +  रख   + आई   =  ……………..

मात्रा  परिचय

        (आ  – ऋ)

आ  की मात्रा –     नाव     पान     छाता
बालक     पायल    गमला
टमाटर      अखबार     तलवार
बोल – बोलकर पढ़िए-    गाल  बाल   ताल  माल  साल  जाना  आना    गाना   खाना   लाना
मानव  दानव   बादल   पागल  सागर   मकान    ढलान   कमान   परखा    बरखा
टमाटर   पकवान   समाचार   बरामदा     दवाखाना ।

लाला  आया । छाता लाया ।
कमला आई । अनार लाई ।
बादल छाए । तारा चमका ।
जल बरसा। बालक उछसा ।
अखबार ला।समाचार पढ़।
कमरा साफ कर । अचार मत खा।
जहाज वापस आया। चालक उतरा।

 

उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट पसन्द आया होगा। धन्यवाद

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top