प्रिय दोस्तों आज का मेरा पोस्ट हैं, बड़ी ई मात्रा Badi ki matra । अगर आप घर में छोटे बच्चे है, तो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है। दोस्तों आज के समय में आप अपने बच्चों को भले ही English medium में पढ़ाते हैं। लेकिन उनकों हिन्दी का आना काफी जरूरी है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। भारत के हर राज्य में हिन्दी बोलना पढ़ना अनिवार्य है।
इसलिए स्कूल चाहे हिन्दी मीडियम हो या अंग्रेजी मिडियमय हों उन सभी स्कूलों में हिन्दी की बुक पढ़ाई जाती है। अगर आप अपने बच्चों को हिन्दी मात्रा या ग्रामर का जानकारी देना चाहते हैं, तो मेरे matra wale साइट पर आये और अ से अः तक की सारी स्वर मात्रा का जानकारी प्राप्त करे।
Table of Contents
Badi ki matra के शब्द
दोस्तों आप अपने बच्चों को शुरू से स्वर और व्यंजन का अक्षर पहचान करते है। उसके बाद धीरे – धीरे वह व्यंजन की शब्दों पर स्वर की मात्रा लगाना सिखते है। यही प्रक्रिया नर्सरी लेकर कक्षा 1 तक केे छोटे बच्चों स्कूल में सिखाया जाता है। इस लिए हिन्दी सिखने पहले मात्रा का आना जरूरी है। स्कूल में बच्चों को मात्रा लिखने का होमवर्क मिल जाता है, तो बच्चें काफी परेशान होते है। और अपने पैरेन्ट से हेल्प मागंते है, तो आज के पैरेन्टस के पास टाइम का बहुत अभाव है । वह अपने बच्चों को तुरन्त गुगल सर्च करके देते है।
Badi ki matra वाला शब्द
आज के टाइम में सारे बच्चे मोबाइल से पढ़ने के शौकीन हो गये है। किताब में वह रूचि नही लगाते। इसलिए मैं आप लोगो के बच्चों के लिए हम अपने matra wale साइट पर हिन्दी मात्रा ग्रामर की सारे सुविधा उपलब्ध कराते रहेगें और आप को भी मदद मिलती रहेगी । मै आप लोगो को मात्रा वाला शब्द और मात्रा वाला वाक्य भी उपलब्ध कराऊँगी उसके साथ में बच्चों को प्रेरणादायक कुछ कहानी भी लिखती हूँ । क्योकि छोटे बच्चे कहानी पढ़ने सुनने में बहुत इन्ट्रेस्ट लेते है।
Badi ki matra कहाँ लगती है
तो दोस्तों अब आप लोगों को बड़ी ई की मात्रा वाले कुछ शब्द और वाक्य दूँगी जो अपने बच्चों असानी से आप सिखाए और पढ़ाए ।
बड़ी ई की मात्रा वाले 150+ शब्द
नीम | खीर | मनीषा |
अमीषा | महीना | मदीना |
सकीना | पीतर | तीतर |
पीसना | गीरना | घीसना |
मीडिया | बाहरी | गड़ही |
टोपोलॉजी | टुंड़ी | जुड़ी |
तीसरी | कहलाती | रीता |
सीता | फीता | दीया |
भी | ही | जीना |
डेजी | भेजी | भीगा |
गीला | सीला | बीमार |
पीटर | सीमा | रीमा |
करीना | रीया | करीश्मा |
डायरेक्ट्री | तीन | पीन |
पीता | नीला | वीआई |
डेसीमल | हसीना | बाइनरी |
कम्प्लीमेन्ट | कमीना | कमीज |
प्रणाली | प्रतीक | मैरोरी |
जाती | आती | खाती |
सोती | सकती | शती |
पत्ती | बत्ती | नही |
उसी | उसकी | होती |
उनकी | बीटा | प्रतीत |
सारणी | सभी | अभी |
कभी | उच्चस्तरी | ठीक |
बीज | सीधा | अंग्रेजी |
स्नेही | मशीनी | मशीन |
मनीष | पूनीत | श्रेणी |
आस्की | परीक्षा | परीक्षण |
मोटी | छोटी | बड़ी |
बन्टी | घंटी | वाली |
एलीमेण्ट | संग्रहीत | तकनीकी |
चलती | कहती | सूची |
शूभी | सीखना | खीचना |
पीसना | पसीना | पनीर |
नीलम | शीशम | बीरता |
शीतल | आधी | बकरी |
मछली | माधुरी | जवानी |
पुरानी | नई | बस्ती |
हस्ती | बसाती | बरसाती |
हसाती | लम्बाई | कमाई |
महंगाई | कटरीना | कटाई |
बताई | बढ़ई | बड़ाई |
स्क्रीन | दूसरी | पहली |
बारी-बारी | खरी | उतरी |
गोरी | गली | गोली |
भोली | मोदी | योगी |
कोई | दोहरी | पड़ोसी |
दादी | दीदी | दही |
मोहनी | मुराली | बंशी |
बैशाली | मीटर | हीटर |
कॉपी | कील | काटी |
खुटी | लीटर | इण्टीजर |
एण्टीबॉडी | नवीन | प्रवीन |
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बड़ी ई मात्रा का वाले वाक्य
- रीता अपने सहेली सीता के घर गई है।
- शीतल स्कूल की टॉपर लड़की थी।
- गीता पढ़ना बहुत जरूरी है।
- प्रवीन का एक मेडीकल स्टोर चलती है।
- सीमा अभी सब्जी खरीदने गई।
- राखी एक एक्टर भी थी।
- रीना कमला की बहन थी।
- लक्ष्मी जी का पूजा दीपावली में होती है।
- नवमी का समय चल रहा है।
- करीना बहुत सुन्दर और समझदार भी है।
- मछली का जीवन पानी में होता है।
- बकरी एक पालतू जानवर है।
- रीता अपनी पढ़ाई करती है।
- मोनही भी परीक्षा दी थी।
- दादी बहुत परेशान दिखती थी।
- दीदी अपने ससुराल गई।
- मीना मेरी टीचर हैं।
- नीम की पत्ती कड़वी लगती है।
- नीलम मेरी फ्रेन्ड थी।
- प्रतीक भी स्कूल का अच्छा लड़का था।
- नवीन का दुकानदारी अच्छी चलती है।
- आरती का घर आलीशान है।
- चली जा रही है उमर धीरे -धीरे।
बड़ी ई की मात्रा वाली चटपटी कहानी
गालियाँ रही, गाली देने वाले के पास
एक बार एक ब्राह्मण क्रोध के आवेश में भगवान बुद्ध के पास आया और उन्हें गालियाँ देने लगा। ब्राह्मण ने सोचा था कि गालियाँ सुन कर बुद्ध क्रोधित हो जाएँगे। लेकिन बुद्ध शांत ही रहे। उनके चेहरे की प्रसन्नता में कोई फर्क नहीं पड़ा । ब्राह्मण ने और भी गालियाँ दी। गमर बुद्ध हँसते ही रहे। उस समय उनकी आँखो में करूणा का भाव था। अंत में ब्राम्हण थक गया। वह बोला, ‘‘ मैं आपको इतनी गालियाँ दे रहा हूँ, फिर भी आप कुछ नहीं बोलते है! ’’
भगवान बुद्ध ने शांत भाव से कहा, भैया तुमने मुझे जो गालियाँ दीं, उनमें से एक भी गाली मैनें नही लीं।
आपने सुनी तो सही ?
मुझे किसी गाली की कोई जरूरत नही थी। इसलिए मैं क्यों सुनने लगा?
‘‘ तो फिर मैेने दी हुई गालियों का क्या हुआ ? ब्राम्हण ने झुँझला कर पूछा।
वे सब तुम्हारे पास ही रही ।
पर मैने तो गालियाँ आप को दी थी।
लेकिन मैने तो एक भी गाली नहीं ली।
ब्राम्हण परेशान होकर बोला, इसका क्या मतलब हुआ ?
देखों भैया, मान लो तुम्हारी जेब में कुछ सिक्के हैं और तुम उन्हें किसी को देते हो। यदि वह उन्हें न ले, तो सिक्के किसके पास रहे ? बुद्ध ने ब्रम्हण से पूछा।
सिक्के मेरे पास ही रहे । ब्राम्हण ने कहा।
बिलकुल ठीक। इन गालियों की हालत भी उन सिक्कों जैसी ही हुई हैं। तुमने मुझे गालियाँ दीं, पर मैने नही ली। अतः ये गालियाँ तुम्हारे ही पास रही। भगवान बुद्ध ने उसे समझाते हुए कहा।
अब ब्राम्हण को समझ में आया कि यदि गालियाँ सुनने वाला गालियाँ न ले, तो वे गाली देने वाले के पास ही रहती हैं । ब्राम्हण ने भगवान बुद्ध को प्रणाम किया औऱ प्रसन्न हो कर चल दिया ।
तो बच्चों इस कहानी का क्या तात्पर्य रहा आप लोगों को समझ में आ गया होगा। इसका यही मतलब है, की यदि आप को कोई बुरा बोलता है। तो उसपर ध्यान न दे बल्की अपनी अच्छी सोच और अच्छे काम में लगे। बुरा करने वाले का फल बुरे लोगों के पास रहता है। अच्छा करने वाले का फल अच्छे लोगों के पास होता है। लेकिन गलत करने वाले लोग समझ नहीं पाते अपने दुष्कर्मों को और परेशान रहते हैं। दूसरे अच्छे लोगों से ।
इस प्रेरणादायक कहानी को आप हमेशा अपने बच्चों को सुनाये और अच्छी सोच संस्कार दे।