दोस्तो, आज मैं इस पोस्ट में (Ai ki Matra Wale Shabd) स्वर वर्ण का नौवा वर्ण वाला जो ऐ की मात्रा वाले शब्द ( Ai ki matra wale shabd ) होते हैं। इस आर्टिकल में ऐ की मात्रा का शब्द उपलब्ध कराऊँगी जो बच्चों को ऐ की मात्रा वाला शब्द आसानी से मिल सके । अगर आप को ऐ की मात्रा वाले शब्द को जानना चाहते हैं, तो आप विलकुल ही इस मात्रा वाले साइट के अच्छे आर्टिकल पर आये है। छोटे बच्चों को टीचर मात्रा का पहचान कराती है। और उसक पहचान भी लोग कराते है।
मात्रा का पहचान के साथ बच्चों को मात्रा वाला वर्ण लिखने – पढ़ने का अभ्यास कराते हैं ताकि बच्चों को अच्छे से जानकारी मिल सके। हिन्दी मात्रा ( Hindi matra ) का ज्ञान छोटे विद्यार्थी को बहुत ही बारीकी से लोग देते हैं। घर पर पैरेंट भी शुरू में अपने बच्चों को वर्ण के साथ-साथ मात्रा का ज्ञान देते है। बहुत से पैरेंट है, अपने बच्चों सीखाने के लिए इंटरनेट के सहायता लेते है। इस लिये मैं मात्रा का आर्टिकल लिखती हूँ । जो विद्यार्थी को असानी से ऐ की मात्रा वाला शब्द ( Ai ki matra wala shabd ) लिखने – पढ़ने को मिल सके।
Table of Contents
Ai ki Matra Wale Shabd
इस आर्टिकल में ऐ का मात्रा वाले शब्द दो अक्षर वाला शब्द, तीन अक्षर वाला शब्द, चार अक्षर वाला शब्द उपलब्ध कराऊँगी। तो दोस्तों अगर आप इस तरह मात्रा वाले शब्द का पढ़ना हो, इस आर्टिकल को अन्त तक पढ़े।
- ऐ की मात्रा वाला दो अक्षर का शब्द
- ऐ की मात्रा वाला तीन अक्षर का शब्द
- ऐ की मात्रा वाले चार अक्षर का शब्द
- ऐ की मात्रा Ai ki matra wale shabd
Ai ki Matra Wale Shabd ऐ की मात्रा वाले दो अक्षर का शब्द
कैसा | जैसा | वैसा |
पैसा | भैंसा | बैग |
टैग | टैंक | पैट |
सैट | मैंक | मैन |
नैन | कैश | ऐना |
मैना | पैना | ऐत |
ऐन | ऐसा | कैथ |
कैथी | कैसी | तैसी |
जैसी | खैनी | गैस |
गैर | गैया | मैया |
सैया | गैन | चैत |
चैला | मैला | छैला |
जैव | दैत | पैक |
मैक | दैया | नैनू |
नैया | पैया | बैठा |
बैल | बैर | थैला |
बैरी | बैना | रैन |
मैत्री | मैदा | पैदा |
लैस | वैद्य | सैल |
Ai ki Matra Wale Shabd ऐ की तीन अक्षर का मात्रा वाले शब्द
पैकिट | जैकेट | नैतिक |
चैतन्य | जैतून | जैमाल |
तैतीस | पैतीस | तैराक |
तैयार | फैशन | पैसन |
तैनाती | दैनिक | दैविक |
दैहिक | बैगन | बैगनी |
बैराग | बैसाख | बैठका |
बैठाना | बैपार | बैसाना |
भैरव | भैवर | कैतव |
मैत्रिक | मैदान | मैमन्त |
रैखिक | सैतीस | सैनिक |
सैलास | शैतान | सैलाबी |
फैसला | कैलाश | मैडम |
हैरान | रखैल | चुरैल |
बैकुण्ठ | सैकड़ा | सैनेस |
चार अक्षर का Ai ki Matra Wale Shabd
पैतालीस | ऐतिहासिक | ऐतराज |
ऐश्वर्या | ऐंकीया | सैतालीस |
वैज्ञानिक | वैक्सीन | सरैया |
वैद्यनाथ | कैमरावाला | वैवाहिक |
वैतरणी | मठमैला | वैदेशिक |
वैमानिकी | वैश्वेषिक | वैकल्पिक |
खपरैल | वैयाकरण | वैतालिक |
मैलवाला | मैनसिल | मैलापन |
कैदखाना | कैशबैंक | पैगम्बर |
गैगंस्टर | बैठवाना | फैलाना |
नैनिताल | पैसेवाला | पैतृक |
ऐ की मात्रा वाला 20 वाक्य Ai ki Matra Wale sentence
- कैलाश पर्वत पर शिव रहते है।
- हैदरावाद अच्छा शहर है।
- नैना नैनीताल जायेगी।
- सैनिक बाडर पर खड़े थे।
- मैदान में 5 खिलाड़ी आये।
- पैदल टहलना लाभदायक होता है।
- फैशन का जमाना आया।
- थैले में सब्जी ज्यादा था।
- हमें शैतानी नही पसन्द है।
- पैसे से जीवन चल रहा।
- सदैव पढाई करनी चाहिए।
- तैरना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
- पैसे वाले के घर बड़ा होता है।
- सैकड़ो लोग मेले में तमाशा देखे।
- मैं स्कूल जाने का तैयार हूँ।
- मैने आज सर्कस देखा।
- हैरानी की क्या बात थी।
- बैलगाड़ी का जमाना गया।
- हमें अपने परिवार में रहना चाहिए।
- पैराशूट सैनिक पहनते है।
- भैया कैलाश के घर गया।
ऐ की मात्रा वाले बच्चों की कहानी Ai ke matra wali story
वैसे ही एक दुख है, परन्तु यह दुख सबसे अधिक तब होता हैं जब उसका आक्रमण अमीरी के बाद होता है। पैतालिस साल के एक रायसाहब थे। उनके दो लड़के भी थे। बड़े का नाम कैलाश और छोटे का नाम नैतिक था। रायसाहब ने दोनों को बड़े चाव से पढ़ाया । बड़े लड़के कैलाश का विवाह कर दिया परन्तु छोटा लड़का नैतिक अभी इस योग्य न था। वह दसवीं कक्षा में पढ़ता था। रायसाहब चाहते थे कि जितनी जल्दी हो सके उसका भी विवाह कर दें।
अभी यह इच्छा पूरी भी न हो पाई थी कि वे बीमार हो गए और ऐसे बीमार हुए कि फिर न उठे। उनकी मौत पर उनके बड़े बेटे कैलाश को बहुत दुख नही हुआ। क्योकिं उसका दिल बीबी -बच्चों का हो चुका था। परंतु छोटे – बेटे नैतिक पर तो दुख का पहाड़ टूट पड़ा। माँ की मौत के बाद उसे बापू के प्रेम का ही भरोसा था। अब वह भी मर गया। नैतिक बहुत रोया।
प्रायः वह अपने पिता के कमरे में चला जाता और उसे खाली देखकर रोने लग जाता था। रात को सोते – सोते चौंक उठता, बैठे – बैठे घबरा जाता, पाठशाला में पढ़ते – पढ़ते बेहोश होकर गिर पड़ता। लोग उसकी यह दशा देखते और शोक करते , परन्तु कैलाश को इसकी कोई परवाह न थी। इसी तरह 6 महीने बीत गए। कैलाश का व्यवहार छोटे नैतिक से और भी बुरा होता चला गया। वह उसकी आँखों में खटकने लगा। नैतिक भी बहुत परेशान रहने लगा।
उसका दिल हरदम बेचैन औऱ उदास रहता। परिणाम यह हुआ कि पढ़ाई में असावधानी होने लगी। परीक्षा में वह फेल हो गया। कैलाश को बहाना मिल गाय। उसने कड़कर कहा, यह तुम दिन – रात करते क्या हो परीक्षा में फेल हो गए?
नैतिक निराश से भूमि देख चुप हो गया। कैलाश ने दूसरी बार पूछा, बोलते हो या दूसरी तरह पूछूँ ? अगर पढ़ने का इरादा नहीं है तो न पढ़ो, व्यर्थ ही में खर्च करने से क्या लाभ? नैतिक के घावो पर जैसे किसी ने नमक छिड़क दिया, परंतु वह फिर भी चुप रहा।
इस चुप्पी ने कैलाश के क्रोध पर तेल का काम किया। उसने मार – मारकर नैतिक का मुँह लाल कर दिया। यही लड़का था जिस पर कभी किसी को उँगली उठाने की हिम्मत न होती थी। आज उसे भाई इस तरह मार रहा था। यदि उसका पिता न मरा होता तो क्या कोई मारता ?
रात के समय सीताराम उठा और बाहर के अँधेरे में निकल गया। किधर गया यह उसे भी न पता था। कैलाश को नैतिक के गुम हो जाने पर तनिक भी चिंता न की। और कहाँ जो कुछ हुआ अच्छा हुआ । उसके रास्ते का काँटा स्वयं ही निकल गया । पिता की संपत्ति का अब वह अकेला मालिक था। अच्छा खाता था, अच्छा पीता था औऱ मोटरकार में सैर – सपाटे के लिए जाया करता था। छोटे भाई की उसे कभी याद न आई।
प्रत्युत वह कभी – कभी इस विचार से घबरा उठता था कि वह एकदम कहीं से आ न जाए। चासीस वर्ष बीत गए। अब कैलाश अत्यंत निर्धन आदमी हो चुका था, जिसके कंधों को सदा बीमार रहने वाली बीबी और दो निर्बल लड़कों के परिवार का बोझ झुकाए रहता था। उसने अपना सारा रूपया शराब और जुए की भेंट कर दिया औऱ अब एक – एक पैसे के लिए दूसरों का मुँह ताकता था।
एक बार उसे औऱ उसके बाल – बच्चों को की दिन तक भूखे रहना पड़ा। बीबी रोती थी, बच्चे बिलखते थे और कैलाश उनको दोखकर अधीर हुआ जाता था। अंत में उससे रहा न गया और वह एक अमीर आदमी के मकान में चोरी की इच्छा से घुस गया। वहाँ उसने ताला तोड़ा, सोने के आभूषण पोटली में बाँधे, नोटों की गठरी उठाई और कमरे से बाहर निकल आया। उस समय उसका दिल डर के मारे जोर – जोर से धड़क रहा था। इतने में किसी ने आकर गर्दन पकड़ ली। यह मकान का मालिक था जो वहा के बड़े -बड़े धनिकों में गिना जाता था। कैलाश बेहोश होकर गिर पड़ा।
थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो मकान मालिक ने उससे पूछा, ‘‘ कौन हो ?’’ कैलाश की आँखे भूमि की ओर थीं। उसने रोते हुए उत्तर दिया, ‘‘एक अभागा। ’’मकान के मालिन ने डपटकर कहा, तुम्हारा नाम क्या है ?
कैलाश ने धीरे से उत्तर दिया, कैलाश माकान मालिक उछलकर खड़ा हो गया और बोला तू कहाँ का रहने वाला है ? जो धनी आदमी था, वह उसका छोटा भाई नैतिक था।
कैलाश का मुँह मारे लज्जा के लाल हो गया । गर्दन झुकाकर बोला, हाँ रायसाहब चंंपतराय। मकान का मालिक रोता हुआ आगे बढ़ा और कैलाश के पैरों में गिर पड़ा। यह उसका छोटा भाई थो जो निराशा और उदासी की अवस्था में घर से निकला था, परंतु अपने परिश्रम, लगन और साहस के कारण अब धनी बन गया था।
थोड़ी देर के बाद उसने कैलाश से कहा, मेरे पास रूपये की कमी नही। तुम कुछ काम आरंभ कर दो। कैलाश सोचने लगा, मै कितना कमीना हूँ। इसको घर से निकाल दिया। इसका रूपया उड़ा दिया और इसकी परवाह तक न की। परंतु यह कितना अच्छा है, प्रेम का अवतार है। उसके गालों पर आँसुओ की धारा बह चली।
नैतिक ने कहा, भाई अब पछताने की आवश्यकता नहीं। बीती बातों को भुला दो और कल से नया जीवन आरंभ करो।
नैतिक की नेकनामी और संपत्ति ने कैलाश को भी रावलपिंडी के धनिकों में से एक बना दिया। कैलाश की आँखें खुल चुकी थीं। वह जान गया था कि पारस्परिक प्रेम और सौहार्द ही सबसे बड़ी पूँजी है।
निष्कर्ष
- बच्चों को परिश्रम का महत्व समझाएँ । उन्हें समझाएँ कि धन को समझदारी से खर्च करना चाहिए। उसका अपव्यय करना मुसीबतों को बुलावा देता है। मुझे किसी का धन को देखकर लालच नही फैलाना चाहिए।
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