Free 50 Ae Ki Matra Wale Shabd || ए की मात्रा वाले शब्द

आइए आज मैं आप लोगों को( Ae Ki Matra Wale Shabdए की मात्रा वाले शब्द में मात्रा का कुछ महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराऊँगी। जो प्राइमरी पढ़ने वाले बच्चे सीखते हैं। इस पोस्ट में मैं अ से लेकर अः तक का मात्रा का लेख लिखी हूँ। जो आप लोगो को आसनी से मात्रा का मदद मिल सके। आज के बच्चे किताब से नही बल्की मोबाइल पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

बच्चों के पैरेन्टस भी कुछ जानने का इच्छा होती तो तुरन्त इंटरनेट का मदद लेते हैं। इस लिए मैं इंटरनेट के माध्यम से ए की मात्रा का शब्द (Ae Ki Matra Wale Shabd)   ज्ञान दूँगी, जो कि बच्चों की जानकारी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस पोस्ट में  छोटे ए की मात्रा का दो शब्द, तीन शब्द, चार शब्द, के अक्षर वाला शब्द उपलब्ध हैं।

ए की मात्रा का महत्व 
जिस तरीके से बात- चीत  करने के लिए बोलना जरूरी होता हैंं। उसी तरीके से उन बातों को लिखने के लिए मात्रा ज्ञान जरूरी होता हैं। मात्राए तो बहुत सारी हैं लेकिन इस पोस्ट में, मैं आप को ए की मात्रा की जानकारी देने वाली हुँ। इसके पहले कि सभी मात्राओं कि जानकारी इस साइट पर दी जा चुँकी है।

ए की मात्रा के साथ बच्चों कहानी और विद्यार्थी  जीवन में अनुशासन का भी  लिखा गया है। इस अनुशासन को  पढ़ीये और अपने राष्ट्रीय जीवन के लिए अच्छा बनीए। बच्चों को स्कूल लेकर घर तक अनुशासन देना चाहिए। जैसा आप अपने बच्चों को अनुशासन देंगे आप बच्चे उसी अनुसार होगे। अनुशासन क्या है ? स्वयं पर का स्वयं पर शासन ।

इस पोस्ट में निम्न टापिक शामिल किये गए हैं। 

  • ए की मात्रा वाले आसान शब्द 
  • ए की मात्रा वाले दो अक्षर का शब्द
  • ए की मात्रा वाले तीन अक्षर वाला शब्द
  • ए की मात्रा वाले का चार अक्षर का शब्द

ए की मात्रा वाले असान शब्द शब्द Ae Ki Matra Wale Shabd

Free 50 Ae ki matra wale shabd
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एक  एव एवं
एड़ी एक्का एही
एका एच रेल
जेल सेल खेल
मेल पेड़ सेब
तेल शेर मेघ
देर फेर खेत
वेग पेन भेज
शेड फेल देख
तेज गेट बेल
क्षेत्र देन सेठ
नेट केक फेक
पेन  नेल घेर

 

ए की मात्रा वाले दो अक्षर का शब्द (Ae Ki Matra Wale Shabd)

खेला केला  ठेला
मेला लेना देना
सेना फेका ठेका
घेरा फेरा देखा
सेका बेटा  बेटी
खेती पेठा  पेटा
नेता नेहा पेंदा
मेरा  मेरे मेवा
सेवा मेगा मेम
मेष मेघा मेज
सेजा फेदा सेतु
सेंधा नेग सेका
मेटा मेथी शेखी
शेष वेद वेला
भेड़ा बेर बेड़ी
बेना बेबी बेध
फेना फेटा छेना

 

ए की मात्रा वाले (Ae Ki Matra Wale) तीन अक्षर का शब्द

केवल केशव केवट
पेचिश पेटारा पेटिका
बेगल बेगम बेवड़ा
मेमना वेतन वेदना
छेदना सेकना फेकना
खेलना ठेकना चेतना
घेरना फेटना हेमंत
हेरना सेन्दुर सेखर
चेचक सेवई सेचन
सेनानी सेमल सेवक
सेवती सेविका सेहत
सेहुँआ गेरूआ सेवड़ा
बेवड़ा श्रेष्ठता लेटना
पेपर लेपन लेखक
लेखिका लेकर जेवर
रेतीला रेगंना रेवती
रेतना रेशमी रेणुका
रेहान  रेहन बेताल
बेसन बेबस बेलना
बेचारा बेनाम बेतुका
बेहाल नेवता नेवला

 

(Ae Ki Matra )ए की मात्रा चार अक्षर वाला शब्द

देखरेख हेरफेर लेनदेन
देखादेखी देनदारी देखनहारा
नेछावर नेत्रमण्डल लेनदार
लेखाकार वेगवान वेदोक्त
रेखांकित रेखागणित रेलठेल
रेगिस्तान रेशेदार मेंहदी
मेहमान मेहनती केलावाला
ठेलावाला मेमियाना मेघदूत
मेड़राना मेषपाल मेरूदण्ड
मेरूरज्ज भेदभाव भेदनीय
भेजनीय भेजवाना बेरादरी
बेवसाय बेसाहना बेलदार
सेलमैन बेचनेवाला प्रेमिकाये
जेलखाना जेवनार छेड़खानी
खेलवाड़ी खेतिहर खेलकूद
केसरिया केसरीनन्दन केतुमान

 

(Ae Ki Matra Wale vakya )ए की मात्रा वाला वाक्य

  • खेल का मैदान है।
  • मेले में केले खरीदे।
  • ठेले पर सब्जी बेचा।
  • खेत में किसान है।
  • नेहा गेहूँ काट रही
  • केसरीया गाना गाता है।
  • शेखर बाजार जाते है।
  • मेले में झुले लगे है।
  • राजेश, महेश के भाई है।
  • दिनेश अच्छा आदमी था।
  • गणेश पूजा करना चाहिए।
  • जेल में कैदी रहते है।
  • सुरेश ने जलेबी बेचता था।
  • सबने केले खा गये।
  • केशव ने रेशमी के साथ आया।
  • बेर मीठे होते है।
  • खेलते – खेलते गनेश रोने लगा।
  • केवल आपने आया है।
  • केवट नाव चलाता है।
  • देवी माता नवरात्रि में आती है।
  • सेना ने देश की सेवा करते है।
  • जेब से जेवर निकाल।
  • मेरी बेटी स्कूल गयी।
  • मेरा बेटा कोचिंग पढ़ता है।
  • केरल एक शिक्षित राज्य है।
  • मेरे केश झड़ गये।
  • रेशा खराब हो गया।
  • नेताजी आज भाषण दे रहे है।

(Ae Ki Matra Wale kahani )ए की मात्रा वाला कहानी

देश की प्रतिष्ठा हमारी हीनता व श्रेष्ठता का संबंध देश की हीनता व श्रेष्ठता  से जुड़ा होता है। यदि हम कोई हीन या बुरा काम करते हैं तो हमारे माथे पर कलंक का टीका तो लगता ही हैं, हमारे देश का सिर भी नीचा होता है और उसकी प्रतिष्ठा गिरती है। इसलिए हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे देश की प्रतिष्ठा पर आँच आए।

हमारे देश के महान पुरूष एक बार जापान गए। वे रेल के  यात्रा  कय कर रहे थे। एक दिन फल खाने का मन किया तो  उन्हें फल खाने को न मिले। उन दिनों वह व्रत थे फल  ही उनका भोजन था। गाड़ी एक स्टेशन पर रूकी। वहाँ भी वह फल को खोजने लगे , किन्तु फल नही मिला। उन्होने कहा, ‘‘ जापान में लगता है कि अच्छे फल ही नही मिलते।’’

वहा एक लड़का स्टेशन पर खड़ा था । उसने वह लड़का यह बात सुना। सुनते ही वह दौड़ा  और एक थैला भर फल लाया । उसने वे फल  उस आदमी को दिया  औऱ कहा, ‘‘लीजिए, मैं आप के लिए अच्छा फल लाये है और आप को फल की बहुत जरूरत  थी।’’पुरूष ने सोचा यहा फल वाला है। उन्होंने उनसे फलों के किमत पूछे, पर उसने दाम लेने से मना कर दिया। बहुत आग्रह करने पर उसने कहा, ‘‘ आप हमारे पूज्यनीय  मेहमान  हैं। इनका दाम मुझे नही चाहिए ।

Ae Ki Matra Wale Shabd

आप यह विनम्रता है कि अपने देश में जाकर किसी से यह बात नही कहना है, कि जापान में ताजा फल नहीं मिलते है।’’वह पुरूष लड़का बात सुनकर मोहित हो गए। वह लड़के ने इस बात पर अपने देश का सम्मान न जाने कितना बढ़ा दिया । हमारा देश हमशे है और हम देश से। शिष्टाचार, सभ्यता और आचरण देश का मान मर्यादा बढ़ाते है। इसलिए अशिष्टता से देश के गौरव पर चोट पहुँता है। और राष्ट्रीय संस्कृत पर भी गहरा ठेस पहुँचता है।

विदेशी अतिथियों के साथ बुरा व्यवहार, खराब आचरण, अशिष्टता, आदि ये सब करना जो अशोभनीय हो बहुत निंदनीय हैं। उत्सवों, मेलों, रेलों और खेलों में ठेलम- ठेल करना, लड़ना – झगड़ना, मारपीट करना आदि अत्यंत ही बुरा है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय समाज में हमारी और हमारे देश की निंदा होती हो। एक और घटना सुनिए। जापान में किसी और देश का एक युवक शिक्षा लेने आया। एक दिन वह सरकारी पुस्तकालय से कोई पुस्तक पढ़ने के लिए लाया। इस पुस्तक में कुछ दुर्लभ चित्र थे।

इन चित्रों को उस युवक ने पुस्तक में से निकाल लिया और पुस्तक वापस कर दी। किसी जापानी विद्यार्थी ने उसे देख लिया औऱ पुस्तकालय को इसकी सूचना दे दी। वे चित्र उस विद्यार्थी के कमरे से बरामद किए गए औऱ उस विद्यार्थी को जापान से निकाल दिया गया। उस विद्यार्थी के अन्य देशवासियों का भी पुस्तकालय में प्रवेश मना कर दिया गया। इस युवक ने अपने निम्न कोटि के कार्य से अपने देश के मस्तक पर कलंक का ऐसा टीका लगाया, जो न जाने कितने वर्षो तक संसार की आँखों में उसे लांछित करता रहा।

  • अतिथि देवो भव संस्कृत की एक प्रख्यात कहावत है जिसका अभिप्राय है कि मेहमान भगवान का रूप होता है। यह कहावत एक प्राचीन उपनिषद से ली गई है।
  • वर्तमान में भारत इस सूत्र का उपयोग भारतीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कर रही है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन 

अनुशासन राष्ट्रीय जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यदि प्रशासन, स्कूल, समाज, परिवार सभी जगह सब लोग अनुशासन में रहेंगे और अपने कर्तव्य का पालन करेंगे, अपनी जिम्मेदारी समझेंगे, तो कही किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नही होगी। नियम तोड़ने से ही अनशासनहीनता बढ़ती है तथा समाज में अव्यवस्था पैदा होती है। बड़े होकर अनुशासन सीखना कठिन है।

अनुशासन का पाठ बचपन से परिवार में रहकर सीखा जाता है। विद्यालय जाकर अनुशासन की भावना का विकास होता है। अच्छी शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है। सच्चा अनुशासन नहीं है और ना ही अनुशासन पराधीनता है। यह समाजिक तथा राष्ट्रीय आवश्यकता है।

देश में व्याप्त तमाम समस्याओं के निराकरण के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अनुशासनप्रिय होना चाहिए। अनुशासन शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है। अपने ऊपर स्वयं शासन करना तथा शासन के अनुसार अपने जीवन को चलाना ही अनुशासन है।

 

दोस्त आज का ये मेरा पोस्ट कैसा लगा अगर आप लोगों को अच्छा लगें तो कमेंट किजिए

धन्यवाद

 

 

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