मेरे प्यारे बच्चों, मेरा आज का आर्टिकल है, कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम( Pronoun ) कैसे पढ़े। यह सभी बच्चों पढ़ना अनिवार्य है। हिन्दी व्याकरण का मूल टॉपिक है। बच्चों यहाँ ध्यान दिजिए,मैं आप लोगों को बिलकुल आसान भाषा में सिखाऊँगी जो जल्दी से समझ में आ जाए। संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें सर्वनाम ( Pronoun ) कहते हैं।
प्रिय विद्यार्थी आप इसे समझने के लिए नीचे दिए गए है। इन निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए । जिससे आप अच्छे से समझ में आ जाएगा।
एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। किसान के चार बेटे थे। किसान के बेटे हमेशा आपस में झगड़ते रहते थे। इसलए किसान बहुत चिंतित रहता था। एक दिन किसान ने एक तरकीब सोची। अब ध्यान देने की बात है, यहाँ किसान संज्ञा है।
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कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम ( Pronoun )
अब आप इन वाक्यों को पढ़िए –
एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। वे हमेशा आपस में झगड़ते रहते थे। इस लिए वह बहुत चिंतित रहता था। एक दिन उसने एक तरकीब सोची। यहाँ संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग हुआ है।
पहले वाक्य में जो संज्ञा आई है, आगे के वाक्यों में उसी संज्ञा के विषय में बात की जा रही है। इस प्रकार हम संज्ञा को दोहराते नही हैं, बल्कि उसके स्थान पर अन्य शब्दों का प्रयोग करते हैं। दूसरे वाक्यों में किसान की जगह उसके, वह , उसने शब्द का प्रयोग किया गया है तथा बेटे के स्थान पर ‘वे’ का प्रयोग हुआ है।इस प्रकार हम कह सकते हैं कि, संज्ञा के स्थान पर प्रोयग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
सर्वनाम के भेद (कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम) ( Pronoun )
सर्वनाम के निम्नलिखित छः प्रकार होते हैं ।
1.पुरूषवाचक सर्वनाम – मैं , हम, तुम, वह।
2. निश्चयवाचक सर्वनाम – कौन, क्या?
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम – कोई, कुछ ।
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम – आप ( स्वयं, खुद )
5. संबंधवाचक सर्वनाम – जो, सो ( वह ) ।
6. निजवाचक सर्वनाम – आप ( स्वयं, खुद )
- पुरूषवाचक सर्वनाम –
कहने वाला जब अपने लिए, सुनने वाले के लिए तथा किसी अन्य व्यक्ति के लिए जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग करता है, वह पुरूषवाचक सर्वनाम’ कहलाता हैं।
कहने वाला मैं, हम
सुनने वाला तू, तुम
जिनके बारें में बात हो वह , वे
पुरूषवाचक सर्वनाम के तीन पुरूष होते हैंं।
( क ) उत्तम पुरूष ( बोलने वाला ) मैं, हम
( ख ) मध्यम पुरूष ( सुनने वाला ) तू, तुम
( ग ) अन्य पुरूष ( अन्य व्यक्ति का पदार्थ ) वह, वे
2. निश्चयवाचक सर्वनाम –
ऐसे सर्वनाम शब्द जिनसे किसी व्यक्ति या वस्तु के निकट या दूर होने के निश्चय का पता चले, उन्हें ‘निश्चयवाचक सर्वनाम’ कहते है। जैसे-
मुझे यह चाहिए। इसे उधर रख दो।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम – ऐसे सर्वनाम शब्द जिनसे किसी व्यक्ति या वस्तु के होने का निश्चत रूप से पता नहीं चलता, उन्हें ‘ अनिश्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं। जैसे-
मुझे कुछ खाने को दो? दरवाजे पर कोई खड़ा है।
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम – जो सर्वनाम शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु के संबंध में प्रश्न रूप में प्रयोग किए जाते है, वे ‘प्रश्नवाचक सर्वनाम’ होते हैं। जैसे-
कौन हो तुम ? तुम्हारा नाम क्या हैं?
5. संबंधवाचक सर्वनाम – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग संबंध प्रकट करने के लिए किया जाता है, उसे ‘संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते है, जैसे-
वह करो जैसा तु्म्हें अच्छा लगे। जैसी करनी वैसी भरनी।
6. निजवाचक सर्वनाम – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलनेवाला अपने लिए करता है, उन्हें ‘निजवाचक सर्वनाम’ कहते हैं। जैसे –
मैं सामान स्वयं उठा लूँगा। उसने खुद मुझे बुलाया था।
कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम ( Pronoun )
विभिन्न कारकों में सर्वनाम के रूप
सर्वनाम का रूप कारक के अनुरूप बदल जाता है।
उत्तम पुरूष ( मैं, हम )
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | मैं, मैंने | हम, हमने |
कर्म | मुझे | हमें |
करण | मझसे, मेरे द्वारा | हमसे, हमारे द्वारा |
संप्रदान | मेरे लिए, मुझे | हमारे लिए, हमें |
अपादान | मुझसे | हमसे |
संबंध | मेरा, मेरी, मेरे | हमारा, हमारी, हमारे |
अधिकरण | मुझमें, मुझ पर | हममें, हम पर |
मध्यम पुरूष ( तू, तुम )
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | तू, तूने | तुम, तुमने |
कर्म | तुझे | तुम्हें |
करण | तुझसे, तेरे द्वारा | तुमसे, तुम्हारे द्वारा |
संप्रदान | तेरे लिए | तुम्हारे लिए |
अपादान | तुझसे | तुमसे |
संबंध | तेरा, तेरी, तेरे | तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे |
अधिकरण | तुझमें, तुझ पर | तुममें, तुम पर |
अन्य पुरूष ( वह, वे )
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | वह, उसने | वे, उन्होंने |
कर्म | उसे | उन्हें |
करण | उससे, उसके द्वारा | उनसे, उनके द्वारा |
संप्रदान | उसके लिए | उनके लिए |
अपादान | उसे | उन्हें |
संबंध | उसका, उसकी, उसके | उनका, उनकी, उनके |
अधिकरण | उसमें, उस पर | उनमें, उन पर |
संबंधवाचक ( जो , जिन्होंने )
करक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | जो, जिसने | जो, जिन्होंने |
कर्म | जिसे | जिन्हें |
करण | जिससे, जिसके द्वारा | जिनसे, जिनके द्वारा |
संप्रदान | जिसके लिए, जिेसे | जिनके लिए, जिन्हें |
अपादान | जिससे | जिनसे |
संबंध | जिसका, जिसकी, जिसके | जिनका, जिनकी, जिनके |
अधिकरण | जिसमें, जिस पर | जिनमें , जिन पर |
निश्यचवाचक ( यह, ये )
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | यह, इसने | ये, इन्होंने |
कर्म | इसे, इसको | इन्हें, इनको |
करण | इससे, इसके द्वारा | इनसे, इनके द्वारा |
संप्रदान | इसके लिए | इनके लिए |
अपादान | इससे | इनसे |
संबंध | इसका, इसकी, इसके | इनका, इनकी, इनके |
अधिकरण | इसमें, इस पर | इनमें, इन पर |
अनिश्यचवाचक ( कोई, किन्ही )
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | कोई, किसी ने | किन्हीं ने |
कर्म | किसी को | किन्हीं को |
करण | किसी से / के द्वारा | किन्हीं से / के द्वारा |
संप्रदान | किसी के लिए | किन्ही के लिए |
अपादान | किसी से | किन्हीं से |
संबंध | किसी का / के / की | किन्हीं का / के / की |
अधिकरण | किसी में / पर | किन्हीं में / पर |
निश्यचवाचक ( कौन )
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | कौन, किसने | किन्होंने |
कर्म | किसे | किन्हें |
करण | किससे, किसके द्वारा | किनसे, किनके द्वारा |
संप्रदान | किसके लिए | किनसे |
अपादान | किससे | किनसे |
संबंध | किसका, किसकी, किसके | किनका, किनकी, किनके |
अधिकरण | किसमें, किस पर | किनमें किन पर |
मुुख्य़ बिन्दु
1.संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
2. सर्वनाम के निम्नलिखित छः भेद होते हैं-
- पुरूषवाचक 2. निश्चयवाचक 3. अनिश्चयवाचक 4. प्रश्नवाचक 5. संबंधवाचक 6. निजवाचक
3.सर्वनाम का रूप कारक के अनुरूप बदला जाता है।
कारक ( Case )
- सिमरन ने फ्रॉक खरीदी।
- पापा ने भैया को काम दिया।
- आकांक्षा ने रंगों से पेटिंग बनाई।
- मम्मी दीदी के लिए साड़ी लाई।
- बिस्तर से बच्चा गिर गया।
- दरवाजे का ताला टूट गया।
- छत पर मत जाओँ ।
- अरे! तुम भी यहाँ हो।
इन वा्कयों में ने, को , से, के लिए, का पर, अरे, शब्द वाक्य के संज्ञा शब्दों का वाक्य की क्रिया के साथ संबंध स्पष्ट कर रहे हैं। ऐसे शब्द कारक कहलाते हैं।
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम का वाक्य की क्रिया के साथ संबंध बताते हैं, उन्हें कारक कहते हैं।
परसर्ग
कारक के आठ रूप होते हैं तथा उनकी पहचान उनके परसर्गों ( विभक्तियों ) से होती हैं। ने, को , से, का, में आदि परसर्ग हैं। कारकों में कभी इन परसर्गों का प्रयोग होता है और कभी नहीं होता, विशेषताः ‘कर्ता’ एव ‘कर्म’ कारक में। इसी प्रकार ‘करण’ एवं अपादान दोनों कारकों में एक जैसा परसर्ग ‘से’ प्रयुक्त होता हैं। इसलिए प्रत्येक कारक के रूप को जानना आवश्यक है।
कारक और उसकी विभक्तियाँ
कारक का नाम | विभिक्ति – चिह्न | वाक्य में प्रयोग |
कर्ता | ने | आशुतोष ने फोन किया। |
कर्म | को | विमला ने पुत्री को समझाया |
करण | से, द्वारा | मालिक ने नौकर से सब्जी मंगवाई। |
संप्रदान | के लिए, को | मनीष भाई के लिए तोहफे लाया। |
अपादान | से ( अलग होना) | विद्यार्थी कक्षा से निकले। |
संबंध | का, के, की, रा, रे, री | सोहन के कपड़े साफ – सुथरे हैं। |
अधिकरण | में, पर | विकास कक्षा में बैठा है। |
संबोधन | हे, रे अरे, आदि | अरी! झाडू तो लगा जा। |
कारक के भेद
- कर्ता कारक – कर्ता का अर्थ हे कार्य करने वाला। वाक्यों में क्रिया करने वाला कर्ता कहलाता है। मनीष ने कविता सुनाई।
इस वाक्य में सुनाने का कार्य मनीष ने किया है। इसलिए मनीष इस वाक्य में कर्ता है। इसके साथ ने विभक्ति का प्रयोग हुआ है।
2. कर्म कारक – जिस वस्तु पर क्रिया के प्रभाव का फल पड़ता है, संज्ञा के उस रूप को कर्म कारक कहते है। जैसे- कृष्ण ने अर्जुन को समझाया।
यहाँ ‘समझाने’ की क्रिया का फल ‘अर्जुन’ पर पड़ रहा है।
3. करण कारक – कारण का अर्थ है साधन। वाक्य की क्रिया को संपन्न करने के लिए जिस निर्जीव संज्ञा का प्रयोग साधन के रूप में होता है वह संज्ञा करण कारक में कही जाती है, जैैसे-
( क ) शीला ने पैंसिल से चित्र बनाया ।
( ख ) माँ ने बोतल से बच्चे को दूध पिलाया।
(ग ) वह ्चाकू से सेब काट रही है।
करण कारक का चिह्न से परसर्ग है।
4. संप्रदान कारक – जिस संज्ञा के लिए वाक्य की क्रिया घटित होती है वह संज्ञा संप्रदान कारक में कही जाती है।
( क ) नीरज ने प्रभा को किताब भेंट की ।
(ख ) डॉक्टर ने बच्चे के लिए दवाई दी।
( ग ) वह दर्शन के लिए मंदिर गया।
5. अपादान कारक – संज्ञा के जिस रूप से अलग होने या तुलना करने का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहते हैं।
( क ) मम्मी ने फ्रिज से दूध निकाला ।
(ख) बलिविंदर सुखविंदर से तेज दौड़ता है।
कक्षा 6 हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम ( Pronoun )
6. संबंध कारक – जहाँ संज्ञा या सर्वनाम से किसी अन्य संज्ञा का संबंध दिखाया जाए वहाँ संबंध कारक होता है। इसमें संबंध बताने वाले चिह्न का, के, की, तथा सर्वनामों में रा, रे , री लगते हैं, जैसे-
(क) यह शीला का घर है।
(ख) वह मदन की दुकान है।
(ग) स्याही की द्वात किसकी है?
(घ) देश की उन्नति में ही हमारी उन्नति है।
7. अधिकरण कारक – अधिकरण का अर्थ क्रिया का आधार और आश्रय होता है। संज्ञा के जिस ेरूप से क्रिया के आधार, स्थान या समय का बोध होता है, उसे अधिेकरण कारक कहते है।
( क ) मछलियाँ तालाब में तैर रही है।
(ख) सुमन छत पर बैठी है।
8. सबोधन कारक – संज्ञा के जिन शब्दों द्वारा संबोधन किया जाए, उन्हें संबोधन कारक कहते हैं। इन शब्दों के द्वारा पुकारने, प्रार्थना करने, बुलाने आदि के कार्य होते ेहैं।
अरे बच्चो! तुम सब इधर आओ।
जवानों! हमें तुम पर नाज है।
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