बच्चे को संवाद लेखन कैसे सिखाए

हाय मेरे प्रिय दोस्तो आज का पोस्ट हैं अपने बच्चे को संवाद लेखन कैसे सिखाए । अब स्कूल में हर तरह के नॉलेज  बच्चों को दिया जाता है। हिन्दी व्याकरण में एक संवाद – लेखन भी है, जिसे अग्रेजी में ( Dialogue- Writing ) बोला जाता है।

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुए वार्तालाप या संभाषण को संवाद कहते है। इसे टीचर बच्चों में सिखाते- पढ़ाते हैं  और घर के लिए संवाद – लेखन  होमर्क भी दिया जाता है। तो बच्चे परेशान होकर सोचते हैं कैसे लिखा जाएगा?

बच्चे को संवाद लेखन कैसे सिखाए
बच्चे को संवाद लेखन कैसे सिखाए

 

अब चिन्ता की कोई बात नही है।यहाँ बच्चों के मदद करने का matra wale साइट हैं इस पर आकर तुरन्त अपना समस्या का समाधान करे, मैं हिन्दी व्याकरण का सारा टॉपिक उपलब्ध कराऊँगी। जो आप को सरल भाषा में बिलकुल समझाया गया है।

कक्षा – 1 से 5 तक के बच्चों को हिन्दी व्याकरण असान भाषा में समझाना अच्छा होता है क्योकि उनको सरल भाव से ही समझ में आता है। तो बच्चों अब हम लोग संवाद – लेखन  सीखेगें ।

अच्छे संवाद – लेखन की विशेषताएँ

  • संवाद सरल भाषा में लिखा होना चाहिए।
  • संवाद छोटे और स्पष्ट होने चाहिए।
  • संवाद का प्रवाह, क्रमगत और तर्क सम्मत होना चाहिए।
  • संवाद में जीवन की जितनी अधिक स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही अधिक सजीव, रोचक तथा मनोरजंक होगा।

1. भाई- बहन में संवाद

कोमल- तुमने फिर रिमोट – कंट्रोल ले लिया। मुझे लौटा दो। मै  ‘हमारे प्रिय सर’ धारावाहिक देखूँगी।

कमल – मै कार्टन – नेटवर्क ही देखूँगा। तुम्हीरे बोर सीरियल देख- देखकर मेरा सिरदर्द हो गया है।

कोमल – तुम खुद भी कार्टून हो और देखते भी कार्टून हो। इन कार्टूनों में क्या रखा है?

कमल – तुम्हारे बोर सीरियल देख – देखकर मेरा सिरदर्द हो जाता है। न कोई कहानी , न कहानी का सिर – पैर। सालभर सीरियल चलता रहता है। कहानी एक इंच आगे नही बढ़ती है।

कोमल – तुम्हारे कार्टूनों में क्या होता? मारधाड़ और जोकरों जैसी उछलकूद। तुम्हारे जैसे बंदर को तो यही अच्छा लगेगा।

कमल – देखो, मुझे बंदर मत कहना। मैने चुहिया कह दिया, तो छमाछम आँसू बहाने लगोगी।

कोमल – कहकर तो देख। तुम्हें अभी सीधा कर दूँगी।

कमल – घंटी बज गई है। शायद पापा आए है। जाकर टी0 वी0 बंद कर दो।

2. अध्यापिका और संतोष में संवाद

अध्यापिका- आपका पुत्र ललित दिन- प्रतिदिन शरारती होता जा रहा है। मैंने आपको इसीलिए बुलाया था।

संतोष – मैं स्वयं परेशान हूँ। घर पर भी इसका यही हाल है।

अध्यापिका – कल कक्षा में गेंद से खेलने लगा। गेंद मारकर इसने शीशा तोड़ दिया।

संतोष – इसने घर आकर नहीं बताया।

अध्यापिका – इन्हीं शरारतों के कारण इसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता । साप्ताहिक परीक्षा में यह सरल प्रश्न तक हल नहीं कर सका।

संतोष – आजकल इसकी संगति कुछ शरारती लड़कों  से हो गई है, इसी से यह ऐसा हो गया है। मैं इसे स्वयं पढ़ाऊँगी और समझाऊँगी। आप भी स्कूल में इसका ध्यान रखिएगा। आपने अच्छा किया जो मुझे बुलाकर बता दिया।

3. अकबर और बीरबल का संवाद

अकबर – बीरबल, इस बैगन को देखो। कितना सुंदर है ये।

बीरबल – यह तो सभी सब्जियों का राजा लगता है। जैसे आप सभी राजायों के राजा है। उसी शाम को अकबर तथा बीरबल साथ- साथ भोजन कर रहे थे और बाते कर रहे थे। तभी रानी जोधाबाई ने उनकी थाली में एक सब्जी परोसी। अकबर ने इसमें बैंगन के ऊपर का ताज तो देखा परंतु इस सब्जी को पहचान नही पाए। उन्होंने सोचा यह कोई नही सब्जी है। उन्होंने यह ताज उठा लिया और हड्डी की भांति इसका स्वाद लेने का प्रयत्न करने लगा।

अकबर – थू! यह क्या है?

बीरबल – यह बैंगन है महाराज।

अकबर – कितनी बुरी सब्जी है ये – स्वादहीन।

बीरबल – सही कहा श्रीमान, मुझे भी बैंगन अच्छे नहीं लगते क्योकि वे स्वादहीन होते है।

जोधाबाई – बीरबल, तुम कैसे व्यक्ति हो? मेरा तात्पर्य है कि क्या तुम थाली के बैंगन हो।

अकबर –बिलकुल ठीक, सुबह बीरबल ने बैंगन की प्रशंसा की थी और अब वह उसकी बुराई कर रहा है।

बीरबल – महाराज बीरबल अपने सीने पर हाथ रखकर झुकते हुए बोले, आदरणीय महाराज मैं आपका सेवक हूँ बैंगन का नहीं, मैं आपके लिए काम करता हूँ, बैंगन के लिए नही। आप जो कुछ कहेंगे मैं उसी का समर्थन करूँगा तथा उसी का पालन करूँगा।

4.तोता और मैना के बीच संवाद

मैना – भाई मियाँ मिट्टठू! कैसे हो3

तोता – बहन मैना! मैं ठीक हूँ। तुम कैसी हो?

मैना – मैं भी ठीक हूँ। सुना है जगंल में बहेलिया आया है। उसने जगह- जगह जाल बिछाया हुआ है। जरा संभलकर रहना।

तोता- हाँ बहन, मैने भी सुना है। पता नही मनुष्यों को हमें पिंजरे में कैद करके क्या आनंद मिलता है?

मैना – तुमने सही कहा भाई, इन मनुष्यों को न जानें कौन – सा सुख मिलता है, हमें परतंत्र करके।

तोता – यदि हम सब पक्षी बोलकर अपना दुख को मनुष्यों बता पाते तो कितना अच्छा होता। तब शायद वह हमें पिंजरे में कैद नहीं करते ।

मैना – सच, यदि हम सब बोल पाते तो मनुष्यों से कहते – ईश्वर ने हमें पंख दिए हैं उड़ान भरने को, तुम हमें पिंजरे में कैद नही कर सकते ।

तोता – आज का स्वार्थी मानव क्या हमारी बात मानता ?

मैना – भाई दिल छोटा मत करों । यदि सभी मनुष्य न भी मानते, किंतु कुछ मनुष्य तो मान ही जाते ।

5.अध्यापिका और विद्यार्थीयों के बीच संवाद

अध्यापिका – बच्चों, क्या आपको पता है कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी भी एक बार फिजूलखर्ची की आदत का शिकार हो गए थे।

विद्यार्थी ए0 – मैडम उन्होंने कैसे फिजूलखर्ची की ?

अध्यापिका – यह जानकर आप सबको हैरानी होगी कि एक बार उन्होंने लैटिन भाषा सीखने और वायलिन बजाना सीखने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया ।

विद्यार्थी बी0 – मैडम! आप हमें पूरा किस्सा सुनाइए।

अध्यापिका – बच्चों, आप सब स्वयं इस विषम पर जानकारी को इंटरनेट के द्वारा अथवा ‘मेरे सत्य के प्रयोग’ पुस्तक को पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं।

6. दो मित्र के बीच बात- चीत

राम –  श्याम क्या आज स्कूल चलना है।

श्याम – हा आज स्कूल जरूर जाना है मेरा टेस्ट का नम्बर बताया जाएगा।

राम – तु्म्हारा सबसे अच्छा पेपर किस सब्जेक्ट का गया है।

श्याम – मेरा फेेवरीट सब्जेक्टे तो, मैथ है मुझे आशा भी है मैथ अच्छा नम्बर आयेगा।

राम – मेरा तो सबसे अच्छा इंग्लिश का टेस्ट गया है।

श्याम – इंग्लिश में भी प्रश्न मेरा पूरा होगया था।

राम – मेरा मैथ बहुत कमजोर है।

श्याम – तो मैं तु्म्हें मैथ सीखा सकता हूँ मगर मेरे से पढ़ो तो ।

राम – हाँ – हां क्यो नही मुझे मैथ बिलकुल नही समझ में आता मुझे समझा दोगें तो अच्छा होगा।

श्याम – तो चलों आज स्कूल से आना तो मेरे पास मैथ का बुक जरूर लेके आना मैं सीखा दूँगा।

राम – ठीक मैं अब तुमसे मैंथ कर रहूंगा अबकी बार टेस्ट में बेस्ट नम्बर लाना है।

7. टीचर और अनुपस्थित रहने वाले छात्र  रमेश

रमेश – ( कक्षा के बाहर से ) – गुरू जी ! क्या मै कक्षा में आ सकता हूँ?

अध्यापक – हाँ – हाँ रमेश आओं।

रमेश – ( कक्षा में आकर ) प्राणाम गुरूजी।

अध्यापक – खुश रहो! रमेश तुम काफी दिन के बाद विद्यालय आए हो और आज भी देर हो क्या  बात है ?

रमेश – गुरूजी क्षमा करे। आज भी डॉक्टर के यहाँ से दवा लेकर आ रहा हूँ। इसीलिए देर हो गई।

अध्यापक – अच्छा, अच्छा बैठो। बेटे तुम्हे क्या हो गाय था?

रमेश – गुरूजी मुझे वुखार आ गया था।

अध्यापक – बेटा, बुखार होने पर खून की जाँच अवश्य करा लेनी चाहिए, क्योकि मलेरिया भी हो सकता है मरेलिया की जानकारी केवल खून की जाँच द्वारा ही की जा सकती है।

रमेश – ठीक है गुरूजी मैं आज ही अपने डॉक्टर से बात करते खून की जाँच कराने का प्रयास करूँगा।

8. डॉक्टर और मरीज के बीच

रोगी – डॉक्टर साहब, मुझे कल रात से हल्का सा बुखार आ रहा है।

डॉक्टर – ठण्ड तो नही लग रही है?

रोगी – थोड़ी ठण्ड भी महसूस हो रही है,

डॉक्टर – क्या छीके भी आ रही है?

रोगी – सवेरे का समय चार – पाँच छीके एक साथ आई  थी।

डॉक्टर – पेट तो खरीब नही  है?

रोगी – हाँ डॉक्टर साहब! आज मेरा पेट साफ नही हुआ है।

डॉक्टर – ( पर्चा लिखकर देते हुए ) ये दवाइयाँ ले लो ।दो दिन की दवा है। दिन मे तीन बार दो – दो गोली चार घण्टे के अंतराल से ले लेना। एक गोली ररात को सोते समय दूध के साथ लेना ।

रोगी – क्या कुछ परहेज भी करना हैं?

डॉक्टर – ज्यादा तलाभुना खाने से परहेज करना होगा। हल्का खाना जैसे – खिचड़ी खा सकते है।

रोगी – डॉक्टर साहब कितने पैसे देदूँ?

डॉक्टर – पंचास रूपए।

रोगी- यह लीजिए, धन्यवाद

आज का यह पोस्ट कैसा लगा कमेन्ट में जरुर बताइयेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top