हाय बच्चों आज पोस्ट हैं, हिंदी व्याकरण काल परिवर्तन जिसे अंग्रेजी में ( Tense ) कहते है। तो मेरें प्यारे बच्चों आप लोग अब हिन्दी व्याकरण का काल पढ़ए, और अच्छे से समझीेए यह व्याकरण का टॉपिक बहुत महत्वपूर्ण है। सायद आप नही जानते कि हिन्दी में काल नही पढ़ा तो कुछ भी नही पढ़ा।
बच्चों, काल का अर्थ है ‘ समय’ । हम सब सदैव कुछ – न- कुछ काम करते रहते हैं। जैसें कुछ काम हम कर चुके होते हैं, कुछ काम कर रहे होते हैं, और कुछ काम आगे आऩे वाले समय में करेंगे। इसी तरह के काल हम लोगों को समय का ज्ञान देता है। यह सभी बच्चों हिन्दी व्याकरण में काल पढ़ना अनिवार्य है, बिना समय का कहाँ कुछ वाक्य समझ में आने वाला है।
तो बच्चों, अब तो आप काल को समझ गए होंगे हिन्दी व्याकरण में काल को समय कहते है। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने या करने के समय का पता चलता है, उसे काल कहते है। अब उदाहरण द्वारा सरल भाषा में समझे जैसे –
राम कल बीमार था। ( भूतकाल )
आज राम स्वस्थ है। ( वर्तमानकाल )
राम कल से खेलने जाएगा।( भविष्यकाल )
अब इन वाक्य में लिखे रंगीन शब्द क्रिया के होने का समय बता रहे हैं।
पहले वाक्य में – ‘बीमार था’ से बीते हुए समय का पता चलता है।
दूसरे वाक्य में – ‘स्वास्थ हैं’ से चल रहे समय का पता चलता है।
तीसरे वाक्य में – ‘खेलने जाएगा’ से आगे आने वाले समय का पता चलता है।
Table of Contents
काल तीन प्रकार होते है ( kinds of Tense )
- वर्तमान काल ( Present Tense )
- भूतकाल काल ( Past Tense )
- भविष्य काल ( Future Tense )
वर्तमान काल के प्रकार
वर्तमान काल में भी तीन भाग होने है। ( 1 ) सामान्य वर्तमान काल, ( 2 ) अपूर्ण वर्तमान काल, ( 3 ) संदिग्ध वर्तमान काल
1. समान्य वर्तमान काल ( Present Indefinite Tense )
क्रिया के जिस रूप से कार्य के वर्तमान समय में होने का बोध होता है, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है, जैसे-
( क ) अनुराधा किताब पढ़ती है।
( ख ) विक्रम हँसता है।
( ग ) वे सभ जाते है।
बच्चों अब इसे पहचानों – वाक्य के अंत में ता है, ती हूँ, ते हैं आदि शब्द आते हैं।
2. अपूर्ण वर्तमान काल ( Present Continuous Tense )
क्रिया के जिस रूप से पता चले कि कार्य अभी चल रहा है खत्म नहीं हुआ, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं, जैसे-
( क ) बच्चे स्कूल जा रहे हैं।
( ख ) मैं घर जा रहा हूँ।
( ग ) रीमा किताब पढ़ रही है।
पहचान – वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रही हूँ, रहे हैं आदि शब्द आते है।
3. संदिग्ध वर्तमान काल ( Doubtful Present Tense )
क्रिया के जिस रुप से वर्तमान में कार्य के होने का संदेह, बोध हो, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते है, जैसे-
( क ) इस समय कार्यालय बंद होगा।
( ख ) माँ मेरा इंतजार करती होगी।
( ग ) बच्चा रोता होगा।
पहचान – वाक्य के अंत में होंगे, होगा, होगी आदि शब्द आते हैं।
भूतकाल
भूतकाल के भेद हिन्दी व्याकरण में भूतकाल छः प्रकार के होते है-
- समान्य भूतकाल ( Past Indefinite )
- आसन्न भूतकाल ( Immediate Past )
- पूर्ण भूतकाल ( Past perfect )
- अपूर्ण भूतकाल ( Past Imperfect )
- संदिग्ध भूतकाल ( Doubtful Past )
- हेतु- हेतुमद् भूतकाल ( Conditional Past )
1. सामान्य भूतकाल ( Past Indefinite ) क्रिया के सामान्य रूप में भूतकाल में होनें पर, उस क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया कहते हैं। सामान्य भूतकाल की क्रिया में इसके पूर्ण होने का पता नहीं चलता ।
( क ) राष्ट्रपति ने वीर बालक-बालिकाओं को पुरस्कार दिए।
( ख ) छात्राओँ ने सुंदर नृत्य किया ।
( ग ) सारे बच्चे घर चले गए ।
2. आसन्न भूतकाल ( Immediate Past ) – क्रिया के तुरंत पूर्ण होने को आसन्न भूतकाल की क्रिया कहते हैं। सामान्य भूतकाल की क्रियाओं के साथ हूँ, है, हैं, हो लगाकर आसन्न भूतकाल की क्रिया बनाते हैं।
( क ) नेताजी ने विद्यार्थियों के समक्ष भाषण दिया है।
( ख ) नेहा, कहाँ से आई हो?
( ग ) मैं बाजार सब्जी लेने आई हूँ।
3. पूर्ण भूतकाल ( Past Perfect ) – जो क्रिया बहुत पहले समाप्त हो चुकी हो, उसे पूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते है। इनके अंत में था, थी, थे का प्रयोग किया जाता है।
( क ) विराट क्रिकेट खेलने गया था।
( ख ) माता जी ने पनीर बनाया था।
( ग ) रीता पहले बहुत बीमार थी।
4. अपूर्ण भूतकाल ( Past Imperfect ) – जो क्रिया भूतकाल में आरंभ होकर समाप्त न हुई हो, उसे अपूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
(क) पुलकित पढ़ रहा था।
(ख) अध्यापुका समझा रही थी।
(ग) गीता मंदिर जा रही थी।
5. संदिग्ध भूतकाल ( Doubtful Past ) – जिस क्रिया के भूतकाल में पूरा होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
( क ) प्रधानमंत्री ने भाषण दे दिया होगा।
( ख ) राधा रेलगाड़ी में बैठ चुकी होगी।
( ग ) अध्यापक मोहन को पढ़ाता होगा।
6. हेतु – हेतुमद् भूतकाल ( Conditional Past ) – जो क्रिया भूतकाल में पूर्ण हो सकती थी, परंतु पूर्ण न हो सकी , उसे हेतु – हेतुमद् भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
( क ) यदि ढंग से खाती, तो इतनी मोटी न होती।
( ख ) यदि अभ्यास किया गया होता, तो मैच जीत जाते।
( ग ) यदि मैंथ अच्छे से पढ़ा होता तो पास हो जाता ।
भविष्य काल ( Future Tense )
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वह आने वाले समय में होगी, उसे ‘भविष्यकाल’ कहते हैं।
भविष्य काल के भेद ( Kinds of Future Tense )
भविष्यकाल तीन प्रकार के होते हैं।
- सामान्य भविष्यकाल ( Future Indefinite )
- संभाव्य भविष्यकाल ( Future Doubtful )
- हेतु- हेतुमद भविष्यकाल ( Future Conditional )
1 सामान्य भविष्यकाल – भविष्यकाल में क्रिया के सामान्य रूप में होने को ‘सामान्य भविष्यकाल’ की क्रिया कहते हैं।
( क ) मोहन समाचार – पत्र पढ़ेगा।
( ख ) मैं दिल्ली जाऊँगा।
( ग ) पापा मेरे कॉलेज जायेंगे।
2. संभाव्य भविष्य काल – भविष्य काल में होने वाली क्रिया की संभावना या इच्छा को , ‘संभाव्य भविष्य काल’ की क्रिया कहते हैं।
( क ) शायद विद्यालय कल बंद रहे।
( ख ) शायद बिजली आ जाए।
( ग ) शायद मौसी आज आए ।
3. हेतु – हेतुमद् भूतकाल – जो क्रिया भूतकाल में पूर्ण हो सकती थी, परंतु पूर्ण न हो सकी, उसे हेतु – हेतुमद् भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
( क ) माँ बनाएगी तो खाना मिलेगा।
( ख ) चाबी मिलेगी तो दरवाजा खुलेगा।
( ग ) मेहनत करोगें तो सफलता मिलेगी।
हिन्दी व्याकरण में काल का मुख्य बिंदु
- क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।
- काल तीन प्रकार के होते हैं-
1. वर्तमान काल 2. भूतकाल 3. भविष्य काल - वर्तमान काल के तीन भेद होते हैं।
1. सामान्य भूतकाल 2. संदिग्ध वर्तमान 3. अपूर्ण वर्तमान। - भूतकाल के छः भेद होते हैं-
1. सामान्य भूतकाल 2. आसन्न भूतकाल 3. पूर्ण भूतकाल 4. अपूर्ण भूतकाल 5. संदिग्ध भूतकाल 6. हेतु – हेतुमद् भूतकाल। - भविष्य काल के तीन भेद होते हैं-
1. समान्य भविष्य काल 2. संभाव्य भविष्यकाल 3. हेतु – हेतुमद् भविष्य काल
अब देखिए बच्चों आप लोग हिन्दी व्याकरण में काल पढ़ लिए होगें और मुझे पूरा आशा है की असानी से समझ में भी आया होगा । तो अब कुछ कहानी भी पढ़ लेते हैं, बच्चों कहानीयांँ बहुत पसन्द आता हैं। इस कहानी का नाम हैं गधा और गीदड़
गधा और गीदड़
एक धोबी के पास एक गधा था। धोबी मैथे कपड़ों का गट्ठर गधे की पीठ पर लाद कर नदी पर कपड़े धोने जाता। वह कपड़े धो-सुखा कर पुनः उनका गट्ठर गधे की पीठ पर लाद कर घर लौटता। गधा दिन भर नदी के किनारे चरता रहता । रात को भी धोबी उसे चरने के लिए छोड़ देता था। उसे गधे के खाने – पीने की कोई चिंता नहीं थी।
एक रात गधे की मुलाकात एक गीदड़ से हुई। दोनों में दोस्ती हो गई। रात होते ही दोनों आहार के लिए साथ – साथ घूमने – फिरने लगे। एक दिन घूमते – घूमते दोनो मित्र एक खेत में घुस गए। उस वक्त किसान सो रहा था। उन्होंने भरपेट साग – भागी और ककड़ियाँ खाई।
पेट भर जाने पर गधा खुशी से झूम उठा। उसने गीदड़ से कहा, मित्र देखो तो, आकाश में तारे कैसे टिमटिमा रहे है। वातावरण भी कितना सुन्दर है मेरा तो अब गाने का मन हो रहा हैं। गीदड़ बोला, रहने दो। तेरा गाना सुनकर किसान जाग जाएगा और मार – मार कर हमारा कचूमर निकाल देगा।
अरे, देख तो सही, मैं कितना अच्छा गाता हूँ। कह कर गधा जोर – जोर से रेंकने लगा। गीदड़ उस समय धीरे – से खेत के बाहर निकल गया। अरे, देख तो सही, मैं कितना अच्छा गाता हूँ। कह कर गधा जोर – जोर से रेंगने लगा। गीदड़ उस समय धीरे – से खेत के बाहर निकल गया ।
गधे के रेंकने की आवाज सुन कर किसान जाग गया और लाठी ले कर दौड़ता हुआ आया। उसने पहले तो गधे को खूब पीटा । इसके बाद उसने गधे के गले में एक बड़ा – सा पत्थर बाँध दिया। पत्थर बहुत भारी था। गधा चलता तो पत्थर उसके दोनों अगले पैरों से टकराता । अतः गधा बड़ी मुश्किल से चल कर खेत के बाहर तक आ सका ।
गीदड़ ने गधे को देख कर कहा, सचमुच तुमने बहुत गाया। तुम्हारा गाना सुन कर किसान बाग – बाग गया। इसीलिए तो उसने इतना भारी इनाम तेरे गले में लटका दिया हैं।