Free अव्यय Indeclinable Word

आज का पोस्ट अव्यय Indeclinable Word हिन्दी व्याकरण के अव्यय का आर्टिकल लिखूंगी। जो बच्चों को पढ़ना जरूरी होता है। अव्यय = अ + व्यय अर्थात् जो व्यय न हो। बच्चों, हिन्दी भाषा में कुछ ऐसे शब्द होते हैं, जिनमें लिंग, वचन, कारक और काल के कारण कोई प्रभाव नही पड़ता। ये शब्द सदैव अपने मूल रूप में ही बने रहते हैं। इन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते है।

जैसे – तेज, आज, ऊपर, नीचे, अंदर, बाहर, क्योंकि, तथा, शीघ्र, कम, इधर-उधर, ध्यानपूर्वक, आधा आदि।

अव्यय Indeclinable Word
अव्यय Indeclinable Word

अव्यय के भेद

अव्यय के चार भेद होते हैं।

  1. क्रियाविशेषण अव्यय  2. संबंधबोधक अव्यय  3. समुच्चयबोधक अव्यय  4. विस्मयदिबोधक अव्यय

1. क्रियाविशेषण = क्रिया + विशेषण अर्थात् क्रिया की विशेषता बताने वाला।

बच्चे बाहर खेल रहे हैं।      अवनी प्रतिदिन मंदिर जाती है।       मोहन जल्दी – जल्दी बोलता है।

बच्चों, ऊपर के वाक्यों में  ‘बाहर’,  प्रतिदिन’, ‘जल्दी – जल्दी’ ऐसे शब्द हैं, जो क्रिया के होने के ढंग अर्थात् क्रिया के होने के स्थान, मात्रा, रीति और समय की विशेषता बता रहे हैं। ये शब्द क्रियाविशेषण अव्यय हैं।

अतः हमने जाना –

जो शब्द क्रिया के स्थान, काल, रीति तथा परिमाण संबंधी विशेषताएँ बताते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं।

अव्यय ( Indeclinable Word ) की जानकारी

  1. स्थानवाचक क्रियाविशेण  2. कालवाचक क्रियाविशेषण  3. रीतिवाचक क्रियाविशेषण  4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण 

स्थानवाचक  क्रियाविशेषण – जो शब्द क्रिया के होने के स्थान ( जगह ) या दिशा को बताते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

जैसे- आप इधर बैठिए ,  पुस्तक नीचे गिरी है।,  राम अपने पर्स को इधर – उधर खोज रहा था।

कुछ अन्य स्थानवचक क्रियाविशेषण 

आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, दूर, पास, बाहर, भीतर, यहाँ, वहाँ, सर्वत्र, दाएँ, बाएँ, यहाँ से वहाँ तक आदि ।

स्थानवाचक क्रियाविशेषण की पहचान 

स्थानवाचक क्रियाविशेषण का पता लगाने के लिए कहाँ या किधर लगाकर प्रश्न किया जाता है, तब जो उत्तर आता है, वह स्थानवाचक क्रियाविशेषण होगा।

जैसे –

वाक्य प्रश्न उत्तर
मोर छत पर बैठा है।  मोर कहाँ बैठा है? छत पर  ( स्थानवाचक क्रियाविशेषण ) 

 

2. कालवाचक क्रियाविशेषण – 

जो शब्द क्रिया के होने के समय को बताते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

जैसे-

दादा जी प्रतिदिन अखबार पढ़ते हैं।         माँ बाजार से अभी – अभी आई हैं।          परसों सोमवार है।

कुछ अन्य कालवाचक क्रियाविशेषण शब्द 

कभी – कभी,  आजकल,   सुबह,  प्रातः, दोपहर,  सारा दिन,  लगातार,  रोज,  हर बार, ज्यादातर आदि।

कालवाचक क्रियाविशेषण की पहचान 

कालवाचक क्रियाविशेषण होगा।

जैसे-  

वाक्य – बस चार बजे चलेगी।

प्रश्न – बस कब चलेगी ?

उत्तर – ( कालवाचक क्रियाविशेषण )

3. रीतिवाचक क्रियाविशेषण –  जो शब्द क्रिया के होने की रीति ( ढंग ) को बताते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। 

बच्चे ध्यानपूर्वक सुन रहे थे।,      घोड़ा तेज दौड़ता है।,          ज्यादा मत खाओ।

कुछ अन्य रीतिवाचक शब्द

धीरे – धीरे, उदास, शीघ्र एकाएक, अक्सर, इसलिए, संभव, प्रायः, बेशक, बिलकुल, भर, मत, सचमुच आदि।

रीतिवाचक क्रियाविशेषण की पहचान –

रीतिवाचक क्रियाविशेषण का पता लगाने के लिए  ‘कैसे’ लगाकर प्रश्न किया जाता है, तब जो उत्तर आता है, वह रीतिवाचक क्रियाविशेषण होगा।

जैसे –

वाक्य –  दादी माँ धीरे – धीरे बोलती है।

प्रश्न – दादी माँ कैसे बोलती है।

उत्तर – धीरे – धीरे  ( रीतिवाचक क्रियाविशेषण )

4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण – जो शब्द क्रिया की मात्रा या नाप- तौल को बताते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं ।

जैसे –  सुधीर थोड़ा सुस्त रहा था।          नल से बूँद – बूँद जल टपक रहा था।        चाय में कम चीनी डालना। 

कुछ अन्य परिमाणवाचक क्रियाविशेषण शब्द –

अधिक, खूब,  पर्याप्त, जरा,  ज्यादा,  इतना,  उतना,  बारी – बारी से,  काफी, बिलकुल, आधा आदि।

परिमाणवाचक क्रियाविशेषण की पहचान – 

परिमाणवाचक क्रियाविशेषण  का पता लगाने के लिए कितना लगाकर प्रश्न किया जाता है, तब जो उत्तर आता है, वहि परिमाणवाचक क्रियाविशेषण होगा।

जैसे –

वाक्य – ज्यादा मत बोलो।

प्रश्न – कितना मत बोलो?

उत्तर – ज्यादा ( परिमाणवाचक क्रियाविशेषण )

क्रियाविशेषण और विशेषण में अंतर 

बच्चों, क्रियाविशेषण क्रिया की विशेषता बताते हैं और विशेषण संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हैं।

जैसे-

बंदर झटपट भाग गया । ( क्रियाविशेषण )               बंदर झटपट पेड़ पर चढ़ गया ( विशेषण )

पिता जी शीघ्र लौटेंगे। ( क्रियाविशेषण )                   पिता जी शीघ्र घर लौट आएँगे। ( विशेषण )

बच्चों अब आप लोग अव्यय को जान गये होगें कितना अच्छा पोस्ट हैं बच्चों कहानी बहुत पसन्द आता है। मैंने सोचा कि अब हिन्दी ग्रामर तो पढ़कर बोर होजाएगें कुछ अच्छी कहानी भी लिख दूँ। तो  ये कहानी हैं राजकुमार हर्ष और उसके मित्र 

राजकुमार हर्ष और उसके मित्र

राजकुमार हर्ष बहुत दयालु था। उसके दो मित्र थे- राजवीर और संजय। राजबीर के पैर बहुत लंबे थे। वह हवा जितनी तेज गति से चल सकता था। संजय दूर -दूर तक देख सकता था। एक बार तीनो मित्र घोड़ों पर बैठ कर घूमने निकले। रास्ते में एक झरना आया। झरने में एक चूहा झटपटा रहा था।

राजकुमार हर्ष ने अपनी पगड़ी खोल कर झरने पर फैला दी और चूहे को बाहर निकाल लिया। चूहा बोला, राजकुमार ! मैंं चूहों का राजा हूँ। आपने मेरी जान बचाई है। जरूरत पड़ने पर आप मुझे याद कीजिएगा।

इसके बाद तीनों मित्र आगे बढ़े। रास्ते में एक नदी आई। उसरी धारा में कुछ चीटियाँ बह रही थी। राजकुमार ने किनारे के पीपल के पेड़ से बड़े- बडे़  पत्ते तोड़ कर पानी में डाले। चीटियां पत्तों पर चढ़ कर किनारे आ गई। चीटियों की रानी बोली, राजकुमार ! आपने हमें बचाया है। जरूरत पड़ने पर आप हमें याद करें। हम जरूर आपकी सहायता करेंगीॆ।

इस प्रकार घूमते – घूमते तीनों मित्र चंद्रनगर पहुँचे। वहाँ के राजा ने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति उनके बताए तीन काम करेगा, उसके साथ वे अपनी राजकुमारी की शादी कर देंगे। आज तक राजा के तीनों काम कोई नहीं कर पाया था। राजकुमार हर्ष ने राजा के पास जा कर कहा, मैं आपके तीनों काम कर सकता हूँ।

राजा बोला, हिमालय की घाटी में ऐसे फूल होते है जो कभी मुरझाते नहीं। कल सुबह तक मुझे ये फूल ला दो। राजकुमार ने अपने मित्र संजय से कहा, हिमालय की घाटी में ये फूल कहाँ है, यह देख कर राजबीर को फूल लेने  भेजो।

राजबीर सूर्योदय के पहले ही फूल ले कर राजकुमार हर्ष के सामने हाजिर हो गया। राजा ने दूसरा काम बताया, इस राजमहल में बीस फुट लंबा एक लकड़ी का खंभा हैं। कल प्रातः काल तक उसका बुरादा बन जाना चाहिए। राजकुमार हर्ष ने फौरन चूहों के राजा को याद किया औऱ इस कार्य में मदद करने के लिए कहा।

चूहों के राजा ने चूहों की सेना को  बुला कर लकड़ी के खंभे को कुतरना शुरू कर दिया । सूरज उगने से पहले लकड़ी के खंभे  का बुरादा बन गया। राजा बोला, अब तीसरा काम। कल सुबह तक मरा हुआ नाग मेरे सामने हाजिर कर दिया।

राजा के बताए हुए तीनों काम पूरे कर देने से राजकुमार हर्ष पर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने राजकुमार के साथ अपनी राजकुमारी का विवाह कर दिया। राजकुमार हर्ष ने अपने दोनो मित्रों – संजय और राजवीर का सम्मान किया और उन्हें बड़े – बड़े इनाम दिए। राजकुमार ने चूहों के राजा और चींटियों की रानी का भी बहुत आभार माना ।

सिर में बाल कितने ?

एक बार अकबर बादशाह ने अपने एक दरबार से पूछा, आप बहुत चतुर और बुध्दिमान हैं। क्या आप बता सकते हैं कि मेरे सिर में कितने बाल हैं? दरबारी चतुर था । उसने सोचा, बीरबल को मूर्ख बनाने का यह अच्छा मौका है। वह बोला, जहाँपनाह! ऐसे प्रश्नों के जवाब बीरबल बड़ी सरलता से दे देता है। उसने एक बार यह बता दिया था कि इस नगर में कितने कौए है।

दरबारी से सोचा, अब बीरबल फँसेगा। उस समय तो छुटकारा पाने का यह उपाय था कि कौए बाहर से आने पर बढ़ जाते और बाहर जाने पर घट जाते है। बादशाह के सिर के  बालों की गणना में तो इस तरह का बहाना नही चलेगा।

बादशाह ने बीरबल को बुलाया और यही प्रश्न उससे भी किया, बीरबल बताओं , मेरे सिर में कितने बाल हैं?

अव्यय Indeclinable Word related story

बीरबल ने अपनी आँखे बंद की । और गिनती करने का दिखावा किया। फिर बोला, जहाँपनाह, एक लाख छब्बीस हजार छः सौ छत्तीस। दरबारी समझ गया कि बीरबल ने केवल गप हाँकी है। वह बीरबल को फँसाना चाहता था। उसने कहा, अच्छा बीरवल! बताओं मेरे सिर में कितने बाल है?

बीरबल ने फिर आँखे बंद की और कुछ समय तक सोचने और गिनने का दिखावा किया । फिर बोला, निन्यानबे हजार सौ निन्यानबे। दरबारी फौरन बोल उठा, एक दम गलत । मेरे सिर में एक लाख छब्बीस हजार छः सौ छत्तीस बाल है।

बीरबल बोला आपके सिर में भी यदि बादशाह के बराबर ही बाल होते तो आप ही बादशाह न होते ? पर आप तो केवल दरबारी हैं। बादशाह ने कहा आप को लगता है कि बीरबल काी बात गलते है, तो इसकी जाँच कर लो।दरबारी बोला, मैं इसके लिए तैयार हूँ।

बीरबल ने कहा, तो नाई को बुलाइए। ।

बादशाह ने कहा,  क्यो?

बीरबल ने कहा, जहाँपनाह, आपके सामने दरबारी का मुंडन कर इनके बालों की गिनती की जाएगी, ताकि इस बात का पता लग जाए कि सही कौन है और गलत कौन है?

अब दरबारी सचमुच घबरा गया । उसने सोचा, भरे दरबार में मुंडन करा कर हँसी का पात्र बनना पड़ेगा । ऊपर से अपने बालों को खुद गिनने का दंड अलग से। इसलिए उसने कहा, जहाँपनाह ! बीरबल की बात मैं स्वीकार करता हूँ। मरे सिर में सचमुच निन्यानबे हजार नौ सौ निन्यानबे बाल हैं। दरबारी की बात सुन कर बादशाह हँस पड़े।

 

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