हाय मेरे प्यारे बच्चों आज के पोस्ट में हिन्दी कारक ( case ) का जानकारी लिखा जायेगा, जो पढ़ने और समझने में काफी असान होगी। यह कक्ष-5 के बच्चों को सिखने वाला कारक हैं। जो सरल भाषा में बताया गया है। इसलिए कि हिन्दी में कारक बहुत जरूरी होता है। जो शब्द वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का संबंध आपस में जोड़ते है, उन्हे कारक कहते है।
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Case कारक किसे कहते हैं
इस लिये कारक को जानना कितना जरूरी माना जाता है। बिना कारक के वाक्य में कुछ पता नही चलता है, कि कौन क्या किसके लिये हो रहा है। स्कूल में टीचर हिन्दी व्याकरण में कारक जरूर पढ़ाते है। आप सभी माता पिता अपने बच्चों को कारक अच्छी ढ़ग से समझाना चाहते है,। इस matra wale साइट पर आये और अपने बच्चों को हिन्दी व्याकरण को सिखाये।
हिन्दी व्याकरण के कारक को पढ़ने के बाद एक अच्छी सी कहानी उपलब्ध कराऊँगीं । जो बच्चे कहानियाँ पढ़ना बहुत पसन्द करते है। और दूसरों को सुनाते रहते हैं तो इस कहानी नाम हैं ऊँट के कान ।यह कहानी पढ़कर मजा आ जाएगा। कहानी पढ़ने और समझने बच्चे बुध्दिमान और चलाक बनते है। इसलिए बच्चों को दादा- दादी अपने घर में कहानियाँ सुनाया करते है।
Case कारक की जानकारी
तो बच्चों अब आप लोग कारक समझे और पढ़ यह बहुत असान भाषा में समझाया गया है। जरा सा ध्यान देंगे तो अच्छे से समझ में आ जायेगा।
बच्चों ने चाचा जी के साथ टॉय स्टोरी फिल्म देखी। घर पहुँचकर बच्चों ने मंम्मी को बताया कि वह सब फिल्म देखने कार के द्वारा गए थे। चाचा नी ने वहाँ पहुँचकर ही फिल्म देखने के लिए टिकट ली थी। टिकट लेकर वह सब बाहर से अंदर हॉल में प्रवेश कर पाए थे। फिल्म बहुत अच्छी थी। फिल्म का किरदार बूडो जरूरतमंदों की सहायता करता था। अरे ! इस फिल्म का ट्रेलर तो मैने भी देखा था। मम्मी बोलीं।
कारक के उदाहरण
बच्चों, ऊपर गद्यांश में आए ने, को, के द्वारा, के लिए से, का , की, अरे! शब्द विशेष शब्द है, जो वाक्य में आए संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जोड़ रहे है। यह विशेष शब्द कारक चिन्ह कहलाते है। कारक शब्द वाक्यों के अर्थ को स्पष्ट करते है। साथ – साथ उनका आपस में परस्पर अर्थ भी स्पष्ट करते है। अतः इन कारक चिन्हों को विभक्ति चिन्ह या परसर्ग भी कहते है। अतः हमने जाना।
जैसे – जो शब्द वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का संबंध आपस में जोड़ते है, उन्हे कारक कहतेहै।
Case कारक समझें
नीचे दिए दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए।
- चिड़िया डाल बैठी है।
- चिड़िया डाल पर बैठी ह
- प्रधानमंत्री ने लालकिले झंडा फहराया।
- प्रधानमंत्री लालकिले पर झंडा फहराया।
ऊपर लिखे प्रथम दोनों वाक्य भी हमें स्पष्ट अर्थ नहीं दे पा रहे हैं। उनके नीचे लिखे दोनों वाक्यों में जब हमने रंगीन शब्दों को जोड़ा तो ये हमें वाक्य का स्पष्ट अर्थ दे रहे है। ये विशेष शब्द हैं जिन्हें कारक कहते है।
कारक के भेद
हिन्दी भाषा में कारक के आठ भेद है। प्रत्येक कारक का कारक चिन्ह भी अलग है।
कारक | पहचान | कारक चिन्ह | उदाहरण |
1. कर्ता कारक | क्रिया को करने वाला कर्ताकरक है। ( उसकी पहचान के लिए कौन या किसने लगाकर प्रश्न पूछा जाता है।) |
ने | क. ऋचा ने पौधा लगाया। ( कभी- कभी वाक्य में ने विभक्ति का प्रयोग नहीं होता। जैसे – (क ) राम गया। (ख) बच्चा सो रहा है। (ग) गाय घास खा रही है।) |
2. कर्म कारक | जिस व्यक्ति या वस्तु पर क्रिया का प्रभाव पड़े। ( उसकी पहचान के लिए क्या या किसके लगाकर प्रश्न पूछा जाता है ) |
को | क. अध्यापिका छात्रों को पढ़ा रही थी। ( कभी – कभी वाक्य में को विभक्ति का प्रयोग नही होता है। जैसे- 1.नानी कहानी सुना रही है। 2. पिता जी पत्र लिख रहेहै। |
3. करण कारक | जिस साधन से क्रिया की जाए। ( उसकी पहचान के लिए किससे या किसके द्वारा लगाकर प्रश्न पूछा जाता है।) | से / के द्वारा | क. रीता गुड़ियों से खेलती है। ख. मुझे फोन के द्वारा सूचित करना। |
4. संप्रदान कारक | जिसके लिए क्रिया की जाए ( उसकी पहचान के लिए किसको या किसके लिए अथवा किस हेतु लगाकर प्रश्न पूछा जाता है।)
|
को / के लिए | क. दादा जी को खाना दो। ख. गुरू जी के लिए जल लाओं। |
5. अपादान कारक | जिस शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु से अलग होने का भाव प्रकट हो। ( उसकी पहचान के लिए किससे या कहाँ से लगाकर प्रश्न पूछा जाता हैं। | से | क. बच्चे बस से उतर गए। ख. रथ से पहिया निकल गया। |
6. संबंध कारक | जिस शब्द से दो संज्ञा या दो सर्वनाम शब्दों का आपस में संबंध बताया जाता है। ( उसकी पहचान के लिए किसका या किसके अथवा किसकी लगाकर प्रश्न पूछा जाता है। | का /के / की/रा/ रे / री /ना/ने/नी | क. सुधा का घर पास है। ख. यह रमेश के नाना जी है। ग. वह शीला की टोकरी है। घ. यह मेरा घर है। ड. तुम्हारी दादी माँ कहाँ है? च. हमारे पिता जी कब आए? छ. सामने डाकघर हैं। |
7. अधिकरण कारक | जिस शब्द से क्रिया के होने के स्थान का पता चले। ( उसकी पहचान के लिए कहाँ’ ‘कब’ लगाकर प्रश्न पूछा जाता है।) | में / पर | क. माँ कमरे में सो रही है। ख. साहिल छत पर खेल रहा है। |
8.संबोधन कारक | जिस शब्द द्वारा किसी को पुकारा जाए। | हे!/ अरे!/ ओ! | क. हे ईश्वर! रक्षा कीजिए। ख. अरे बालक! कहाँ जा रहे हो? |
केस कारक समझें-
कारण कारक और अपादान ककारक दोनों में ‘से’ कारक – चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, किंतु दोनों में पर्याप्त अतंर है। करण कारक में ‘से’ का प्रयोग साधन के अर्थ में किया जाता है। जबकि अपादान कारक में ‘से’ का प्रयोग अलगाव का सूचक है। जैसे-
क. राम हवाई जहाज से मैसूर गया। ( करण कारक )
ख. राम बसे से गिर गया। ( अपादान कारक )
कारक-
- संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का क्रिया के साथ संबंध बताने वाले शब्द कारक कहलाते हैं।
- कारक चिन्हों को परसर्ग या विभक्ति कहते हैं।
- कारक चिन्हों के प्रयोग से संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण का वाक्य में रूप बदल जाता है।
- कारक के आठ भेद होते है- 1. कर्ता कारक 2. कर्म कारक 3. करण कारक 4. संप्रदान कारक 5. अपादान कारक 6. संबंध कारक 7. अधिकरण कारक 8. संबोधन कारक
- कारक आठ प्रकार के होते हैं तथा उनकी पहचान उनके परसर्गों ( विभक्तियों ) से होती है।
हाय मेरे प्यारे बच्चों अब चलिए ऊँट के कान का मजेदार कहानियाँ पढ़ा जाय।
ऊँट के कान
ब्रह्माजी ने इस दुनिया में भिन्न- भिन्न प्रकार के प्राणियों का सृजन किया। काफी सोच- विचार कर उन्होंने प्राणियों के अलग – अलग रूप, रंग और आकार बनाए। उन्हें अलग- अलग गुण दिए। जो बोली मोर बोलता है, वह कोयल नहीं बोल सकती । जैसे घोड़ा दौड़ता है, वैसे गधा नहीं दौड़ सकता। चूहा गिलहरी जैसा नहीं होता और गिलहरी चूहे जैसी नहीं होती ।
जब सभी पशुओं की रचना हो गई, तो वे एक – दूसरे को देखने लगे। बैल ने ऊँट को देखा और सोचा कि ऊँट के सींग क्यों नहीं हैं? सींगवाले पशुओँ ने ऊँट के कान भरे, अरे ऊँट भैया ! ब्रह्याजी ने हम सबको सींग दिेए और आपको बिना सींग का ही बना दिया! आपको भी कभी सींगों की जरूरत पड़ सकती है। जल्दी से ब्रह्याजी के पास जाओ और उनसे सींग माँग लो।
ऊँट ने सोचा, बात तो ठीक है। कभी – न – कभी सींगों की जरूरत पड़ सकती है। सींगों को कारण पशु सुंदर भी दिखाई देता है। ऊँट लंबे – लंबे डग भरता हुआ ब्रम्हाजी के पास पहुँचा। ब्रम्हाजी ने उससे पूछा, क्या बात है?तुम्हें यहाँ तक क्यो आना पड़ा? ऊँट बोला, ब्रह्माजी। आपने सभी पशुओं को सींग दिए, पर मुझे क्यों नहीं दिए? कृपया मुझे भी सींग दीजिए।
ब्रह्याजी ने तो काफी सोच- विचार के बाद ही सभी प्राणियों की रचना की थी। इसमें उन्होंने किसी तरह का पक्षपात नहीं किया था। पर ऊँट में इतनी अक्ल कहाँ कि वह इस बात को समझ सकता? उसे लंबे कान मिले हैं, तो इसका अर्थ यह तो नहीं कि वह उनका उपयोग दूसरों की बातें सुनने के लिए ही करे।
ब्रह्याजी बोले, अरे ऊँट मैने तुझे लंबे – लंबे सुन्दर कान दिये हैं, लेकिन कान का उपयोग कैसे और कब करना चाहिए, इसका तुझे ज्ञान नही है। आज से तुम्हारे कान छोटे हो जाएँगे। इतना ही नहीं, अब तुझे रेगिस्तान की गर्म- गर्म बालू पर चलना पड़ेगा। उसी समय से ऊँट के कान छोटे हो गए। अब ऊँट को बोझ उठा कर रेगिस्तान की गर्म- गर्म बालू पर चलना पड़ता है।
तो बच्चों इस कहानी का यही सीखना हैं। भगवान जो दिया है उसी के सहायता से आगे बढ़ो किसी के बहकावे में अपना दिया हुआ चीज मत खोना। भगवान जी सबकों कुछ न कुछ अच्छा दिया लेकिन लोग समझ नही पाते है। अपना समय दूसरो में गवा देते है।