तो दोस्तों आज का मेरा आर्टिकल है, शब्द – निर्माण ( Word Construction ) हिन्दी व्याकरण में शब्द -निर्माण को पढ़ना महत्वपूर्ण है।वर्णों को जोड़कर शब्द बनते है। हिन्दी की शब्द – रचना प्रत्यय पर आधारित है। प्रकृति से संयोग का प्रत्यय से संयोग और सम्बन्ध, व्याकरण का प्रमुख विषय है।
प्रत्यय आबध्द पद हैं जो किसी मुक्तपद के साथ सम्बद्ध होकर एक विशेष व्याकरण अर्थ प्रकट करते हैंं। शब्द – निर्माण ( Word Construction ) को भारतीय वैयाकरण मुक्तपद को प्रकृति और आबद्ध पद को प्रत्यय कहते हैं। मुक्तपद ( प्रकति ) ही भाषा में अर्थतत्व को व्यक्त करते हैं, इन्हें स्वतन्त्र या ‘पूर्णपद’ कहते हैं। आबद्ध पद ( प्रत्यय) केवल सम्बन्ध तत्व को व्यक्त करते हैं।
भाषा के विकास में शब्द -निमार्ण ( Word Construction ) की प्रमुख भूमिका होती है। शब्द निर्माण की प्रक्रिया के कुछ प्रमुख रूप हैं। दो वर्णों के मेल को संधि कहते है। संधि मे वर्णों के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
( क ) संधि द्वारा ( ख ) उपसर्ग द्वारा ( ग ) प्रत्यय द्वारा
इस पाठ के अन्तर्गत इन सभी का विवरण किया गया है। वर्णों या अक्षरों के मेल से बनने वाले अर्थवान अक्षर समूह को शब्द कहते हैं। नवीन शब्दों के निर्माण की प्रक्रिया भाषा की सतत चलने वाली प्रक्रिया से जुड़ी है। इसे ही व्याकरण में शब्द – रचना ( Word Construction ) कहा जाता है।
यह तीन प्रकार के होती हैं।
1. अर्थवान एवं स्वतन्त्र मूल शब्द के पूर्व में शब्दांश ( उपसर्ग ) जोड़कर ।
2. अर्थवान एवं स्वतन्त्र मूल शब्द के बाद में शब्दांश ( प्रत्यय ) जोड़कर ।
3. दो पृथक – पृथक अर्थवान स्वतन्त्र शब्दों के मेल से ।
ध्यान रखना चाहिए कि शब्दांश को अर्थत् शब्द के अंश को स्वतन्त्र रूप से वाक्य में प्रयुक्त नहीं किया जाता है। शब्दांश जोड़कर जिस नवीन शब्द की रचना होती है, वही शब्द वा्कय में प्रयुक्त किए जाते हैं।
संधि के भेद ( Kinds of joining )
- स्वर संधि
- व्यजंन संधि
- विसर्ग संधि
1.स्वर संधि – जहाँ स्वरों का मेल होता है, वहाँ पर स्वर संधि होती हैं। स्वर के साथ स्वर मेल होने पर जो विकार होता है, उसे स्वर संधि कहते है।
जैसे – हिम + आलय = हिमालय ( अ + आ )
सदा + एव = सदैव ( आ + ए )
पर + उपकार = परोपकार ( अ + उ )
सु + आगत = स्वागत ( उ + आ )
सूर्य + अस्त = सूर्यास्त ( अ + अ )
पो + अन = पवन ( ओ + अ )
ने + अन = नयन ( ए + अ )
2. व्यंजन संधि – जहाँ पर व्यंजन के साथ स्वर या व्यंजन का मेल होता है, वहाँ व्यंजन संधि होती है, जैसे –
सत + जन = सज्जन
जगत् + ईश = जगदीश
दिक् + गज = दिग्गज
शरत् + चंद्र = शरद्चंद्र
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
उत् + लास = उल्लास
सत् + मार्ग = सन्मार्ग
3. विसर्ग संधि – विसर्ग संधि वह है, जहाँ विसर्ग के बाद आने वाले व्यंजन का मेल होता है, जैसे-
पुनः + मिलन = पुनर्मिलन
मनः + रंजन = मनोरजंन
निः + चल = निश्छल
तमः + गुण = तमोगुण
तपः + वन = तपोवन
निः + तेज = निस्तेज
निः + आशा = निराशा
निः + रस = नीरस
निः + फल = निष्फल
निः + रोग = निरोग
निः + धन = निर्धन
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + बल = मनोबल
दुः + उपयोग = दुरूपयोग
दुः + साहस = दुस्साहस
उपसर्ग
किसी शब्द से पूर्व लगकर उस शब्द के अर्थ को बदल देने या नया अर्थ देने वाले शब्दांश को उपसर्ग कहते हैं।
- संस्कृत – उपसर्ग
- हिंदी – उपसर्ग
- उर्दू – उपसर्ग
( क ) संस्कृत उपसर्ग
अति = अधिक
अत्यंत ( अति + अंत )
अतिक्रमण ( अति + क्रमण )
अतिरिक्त ( अति + रिक्त )
अत्यधिक ( अति + अधिक )
अतिवृद्धि ( अति + वृद्धि )
अनु = पीछे
अनुमान ( अनु + मान )
अनुप्रास ( अनु + प्रास )
अनुकूल ( अनु + कूल )
अपि = निकट
अपिधान ( अपि + धान )
अपिसार ( अपि + सार )
अपिमान ( अपि + मान )
अव = पतन
अवगुण ( अव + गुण )
अवमानना ( अव + मानना )
अवनति ( अव + नति )
प्रति = समान, प्रत्येक
प्रतिकूल ( प्रति + कूल )
प्रतिदिन ( प्रति + दिन )
प्रतिमूर्ति ( प्रति + मूर्ति )
प्रतिहिंसा ( प्रति + हिंसा )
परा = विपरित
पराविद्या ( परा + विद्या )
पराधीन ( परा + धीन )
परामर्श ( परा + मर्श )
( ख ) हिन्दी के उपसर्ग
हिन्दी के उपसर्ग मूलतः संस्कृत से विकसित हुए हैं।
उपसर्ग – अ = अभाव, निषेध
अमन ( अ + मन )
अमर ( अ + मर )
अशोक ( अ + शोक )
अचार ( अ + चार )
अपढ़ ( अ + पढ़ )
अजान ( अ + जान )
अलग ( अ + लग )
उपसर्ग – अध = आधा
अधमरा ( अध + मरा )
अधजली ( अध + जली )
अधखाया ( अध + खाया )
अधपकी ( अध + पकी )
अधलिखा ( अध + लिखा )
अधकचरा ( अध + कचरा )
उपसर्ग – अन = नहीं, अभाव
अनपढ़ ( अ + पढ़ )
अनमोल ( अन + मोल )
अनगढ़ ( अन + गढ़ )
( ग ) उर्दू के उपसर्ग
उपसर्ग – कम = थोड़ा
कमजोर ( कम + जोर )
कमउम्र ( कम + उम्र )
उपसर्ग – खुश = अच्छा
खुशदिल ( खुश + दिल )
खुशहाल ( खुश + हाल )
उपसर्ग – गैर = भिन्न
गैरमर्म ( गैर + मर्द )
गैरहाजिर ( गैर + हाजिर )
उपसर्ग – बद = बुरा
बदनाम ( बद + नाम )
बदबू ( बद + बू )
प्रत्यय
किसी शब्द के अंत में लगकर उस शब्द के अर्थ को बदल देने वाले या नया अर्थ देने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं।
- कृत प्रत्यय 2. तद्धित प्रत्यय
कृत प्रत्यय
कृत प्रत्यय क्रिया के मूल ( धातु ) रूप में लगकर संज्ञा और विशेषण शब्दों की रचना करते हैं।
सजावट – सज् ( धातु ) + आवट ( प्रत्यय )
बनवाई – बन ( धातु ) + वाई ( प्रत्यय )
कृत प्रत्ययों द्वारा बने शब्द कृदंत कहलाते हैं। ‘सजावट‘ और ’बनवाई’ कृदंत हैं।
कृत प्रत्ययों के पाँच भेद होते हैं।
1 कृतवाचक
2. कर्मवाचक
3. करण वाचक
4. भाववाचक
5. विशेषणवाचक
1 कृतवाचक कृत प्रत्यय –
शब्द ( धातु ) | प्रत्यय | शब्द |
नृत, गै, चाल, लिख, | अक | नर्तक , गायक, चालक, लेखक |
घूम, पी, भूल | अक्कड़ | घुमक्कड़, पियक्कड़, भुलक्कड़ |
2. कर्मवाचक कृत प्रत्यय –
शब्द ( धातु ) | प्रत्यय | शब्द |
खेल, बिछ | औना | खिलौना, बिछौना |
गा, लिख | ना | गाना, लिखना |
3. करणवाचक कृत प्रत्यय-
शब्द ( धातु ) | प्रत्यय | शब्द |
भूल, भटक | आ | भूला, भटका |
बेल, झाड़ | न | बेलन, झाड़न |
4. भाववाचक कृत प्रत्यय
शब्द ( धातु ) | प्रत्यय | शब्द |
भिड़, रट, गढ़ | अंत | भिडंत, रटंत, गढ़ंत |
उठ, चल, पढ़, लिख | आ | उठा, चला, पढ़ा, लिखा |
5. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
शब्द ( धातु ) | प्रत्यय | शब्द |
गोप, करण , निंद, पढ़ | अनीय | गोपनीय, करणीय, निंदनीय, पठनीय |
कृपा, दया | आलु | कृपालु, दयालु |
कृतवाचक संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
मूल शब्द | प्रत्यय | शब्द |
भीख, जूआ, पूजा | आरी | भिखारी, जुआरी, पुजारी |
बस, रिक्शा, पान | वाला | बसवाला, रिक्शावाला, पानवाला |
भाववाचक संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
मूल शब्द | प्रत्यय | शब्द |
चतुर, अच्छा, सच्चा, मीठा | आई | चतुराई, अच्छाई, सच्चाई, मिठाई |
मानव, मम, लघु, प्रभु | ता | मानवता, समता, लघुता, प्रभुता |
संबधंवाचक संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
मूल शब्द | प्रत्यय | शब्द |
ससुर | आल | ससुराल |
फूफा, मौसा, चाचा,मामा | एरा | फुफेरा, मौसेरा, चचेरा, ममेरा |
विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय
मूल शब्द | प्रत्यय | शब्द |
लोक, नीति, इतिहास, धर्म, | इक | लौकिक, नैतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक |
शक्ति, धन, गुण, बल | वान | शक्तिमान, धनवान, गुणवान, बलवान |
मुख्य बिंदु
- शब्द निर्माण की प्रक्रिया के कुछ प्रमुख रूप हैं
( क ) संधि द्वारा ( ख ) उपसर्ग द्वारा ( ग ) प्रत्यय द्वारा।
2. दो वर्णों के मेल को संधि कहते हैं। संधि में वर्णों के मेल से विकार उत्पन्न होता हैं।
3. संधि के तीन भेद हैं-
( क ) स्वर संधि ( ख ) व्यंजन संधि ( ग ) विसर्ग संधि ।
4. किसी शब्द के पूर्व लगकर उस शब्द के अर्थ को बदल देने या नया अर्थ देने वाले शब्दांश को उपसर्ग कहते हैं।
5. उपसर्ग तीन प्रकार के होते हैं।
(क ) संस्कृत उपसर्ग ( ख ) हिंदी उपसर्ग ( ग ) उर्दू उपसर्ग
6. किसी शब्द के अंत में लगकर उस शब्द के अर्थ को बदल देने वाले या नया अर्थ देने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
7. प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं।
( क ) कृत प्रत्यय ( ख ) तद्धित प्रत्यय
दोस्तों आज का मेरा पोस्ट हैं हिन्दी व्याकरण में शब्द निर्माण इसें आप लोग अपने बच्चों को जरूर पढ़ाये। और अच्छा हों तो अपनी बात कमेन्ट में लिखे।