तों मेरे प्यारे बच्चों। आज इस पोस्ट में, मैं आप लोगों के लिए हिन्दी व्याकरण में पूछे जाने वाले अनेकार्थक शब्द ( Words with Meaning ) लाए है। यह यूनियर बच्चों को समझने के लिए मैं इस पोस्ट अनेकार्थक शब्द समझाया है।
जो बिलकुल सरल भाषा में है, और बच्चे असान भाषा ही समझ में आता है। तो बच्चों हिन्दी व्याकरण में अनेकार्थक शब्द ( Words with Meaning ) अच्छी जानकरी लेना हैं । तो इस बिलकुल सही matra wale साइट पर आए हैं। इस पोस्ट को आप पूरा पढ़े क्योकि आप के लिए शानदार पोस्ट है।
बच्चों , भाषा में कुछ ऐसे शब्द भी होते हैं, अनेकार्थक शब्द ( Words with Meaning ) जिनका एक से अधिक अर्थ होता है। ऐसे शब्दों का जब हम वाक्य में प्रयोग करते हैं, तभी हमें उनके सही अर्थ का पता चलता है।
तो चलिए अब देखा जाेए कुछ उदाहरण-जैसे
- मेरी दादी चश्मा पहनती है। 2. पहाड़ से चश्मा बह रहा है।
बच्चों, ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘चश्मा’ शब्द का प्रयोग हुआ है। पहले वाक्य में चश्मा शब्द का अर्थ ऐनक से है, परन्तु दूसरे वाक्य में चश्मा का अर्थ झरना है। इस प्रकार के शब्दों को ही अनेकार्थक शब्द कहते हैं।
अतः हमने जाना-
जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें अनेकार्थक या अनेकार्थी शब्द कहते हैं।
Table of Contents
कुछ अन्य अनेकार्थक शब्द
- वर्ण – जाति, अक्षर
- मक- वोट, नहीं
- कुल – वंश, जाति
- आम – एक फल, सामान्य
- पत्र – चिट्ठी , पत्ता
- कर – हाथ, टैक्स
- नाना – अनेक , माँ के पिताजी
- रीति – तरीका, परंपरा
- पानी – चमक, जल
- तीर – बाण, तट
- अर्थ – धन, मतलब
- कनक – सोना, गेहूँ
- विधि – तरीका, कानून
- घन – बादल, हथौड़ा
- जग – एक बरतन, संसार
- जेठ – गरमी का महीना, पति का बड़ा भाई
- वर – वरदान, दूल्हा
- घट – कम, शरीर
- अंबर – वस्त्र, आकाश
- जवान – युवक, सैनिक
- सांरग – हाथी, साँप
- योग – ध्यान, जोड़
- गुण – विशेषता, स्वभाव
- भाग – हिस्सा, भाग्य
- अंबर – वस्त्र, आकाश
- बाल – बच्चा , केष
- गति – चाल, दशा
- काल – मृत्यु, समय
- कल – सशीन, आने वाला समय
- जल – पानी, जल जाना ( क्रिया )
- दल – समूह, सेना
- पद – ओहदा, पैर
- वार – दिन, आक्रमण ( हमला )
- गुरू – शिक्षक, बड़ा
वाक्यों में प्रयु्क्त कुछ उदाहरण
गति – चाल = हाथी मदमस्त गति से चल रहा है।
हालत = रवि की गति दयनीय है।
सार – रस = आम का सार स्वादिष्ट होता हैं।
निष्कर्ष = इस कहानी का सार शिक्षाप्रद है।
लाल – रंग = नेहा ने लाल रंग की फ्रॉक पहनी है।
पुत्र = हरीश माँ का इकलौता लाल है।
पर – पंख = मोर पर फैलाकर नाचता है।
परंतु = मित्र ने बुलाया पर मैं जा न सका।
नग – रत्न = राधा की अंगूठी में नग लगा हैं।
पर्वत = पर्वतारोहियों ने नग पर तिरंगा फहराया
फल – परिणाम = अपने कर्मों का फल तो भुगतना पड़ा।
खाने वाला फल = आम का फल मीठा था।
जड़ – मूल = लड़ाई की जड़ सदेव अज्ञानता होती है।
मूर्ख = सुनील तो जड़ बुद्धि है।
मधु – शहद = यह तुलसी का मधु है।
शराब = मधु पीकर सब मतवाले हो जाते हैं।
अभ्यास
तो बच्चों, अब हमलोग कुछ अभ्यास कर लेते हैं
- सही विकल्प चुनकर सही ( ) का चिन्ह लगाइए।
क. ‘वस्त्र’ और ‘आकाश’ किस शब्द के अर्थ हैं ?
1 कर ( ), 2 अंबर ( ), 3 घन ( )
ख. ‘माँ’ के पिताजी’ को क्या कहते हैं?
1 लाल ( ), 2 कुल ( ), 3 नाना ( )
ग. ‘ कनक’ के अनेकार्थक शब्द क्या हैं?
1 सोना व गेहूँ ( ), 2 गेहूँ व धन ( ) 3 सोना व टैक्स ( )
घ. जिस शब्द के अनेक अर्थ होते है, उसे क्या कहते हैं?
1 विलोम शब्द ( ) , 2 अशुध्द शब्द ( ) , 3 अनेकार्थक शब्द ( )
2. अनेकार्थक शब्दों का उचित शब्दों से मिलान कीजिए।
क. बरतन, संसार लाल
ख. रंग, पुत्र तीर
ग. वंश, जाति जग
घ. बाण, तट विधि
ड. तरीका, कानून कुल
3. निम्न वाक्यों को पढ़कर बताइए रंगीन शब्द किस अर्थ में प्रयु्क्त हुआ हैं?
- मेरे पिता जी आम लाए हैं। ……..
- डाकिया पत्र लेकर आया है। …….
- पिता जी को इसी माह कर देना हैं। …….
- कल विधान सभा के लिए मत डाले जाएँगे । …….
- प्रश्न पत्र तीन भाग में बँटा था। …….
- माँ नेे राधा को चाय बनाने की विधि बताई। …..
- दादी माँ की नग वाली अँगूठी गुम गई । ……
- माँ को अपना लाल बहुत प्यारा था। ……
कुछ अनेकार्थक शब्द इस प्रकार है। जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ हों, उन्हें अनेकार्थक शब्द कहते हैं।
2. अनेकार्थक शब्द
तात – प्रिय, मित्र, पूज्य।
जीवन – प्राण, जल , वायु।
तट – किनारा, खेत, प्रदेश।
दल – पत्ता, सेना, समूह।
दुर्ग – किला, कठिन।
पशु – चार पैरोंवाले प्राणी, मूर्ख, देवता।
पानी – जल, मान, चमक।
यंत्र – ताला, बंदूक, मशीन।
अपेक्षा – आवश्यकता, आशा।
कनक – सोना, धतूरा।
घन – हथौड़ा, बादल, घना।
द्विज – ब्राम्हण, चंद्रमा, पक्षी।
निशान – चिन्ह, ध्वजा।
पय – दूध, पानी।
अवकाश – छुट्टी, अवसर।
काल – समय, मृत्यु।
घट – घड़ा, शरीर, मन।
नाग – साँप, हाथी, बादल।
पद – पाँव, उपाधि, स्थान।
बलि – बलिदान, उपहार, राजा बलि।
अब्ज – शंख, कमल, चंद्रमा।
अवधि – सीमा, निर्धारित समय।
कृष्ण – कृष्ण पक्ष, काला, देवकीपुत्र।
तनु – सुंदर, कोमल, पतला।
धर्म – गुण, स्वभाव, पुण्य।
पतंग – पक्षी, सूर्य, उड़ने वाली पतंग।
अमृत – दूध, अन्न, जल।
अलि – भौंरा, कोयल, सखी।
गुरू – शिक्षक, भारी, बड़ा।
घर – कुल, मकान, कार्यालय।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
भाषा को प्रभावशाली और संक्षिप्त करने के लिए हम वाक्यांशों के लिए एक शब्द का प्रयोग करते हैं।
ईश्वर में विश्वास करने वाला | आस्तिक |
जिसकी कोई उपमा न हो | अनुपम |
सबसे पहले गिने जाने वाला | अग्रगण्य |
बहुत अधिक वर्षा होना | अतिवृष्टि |
कम खर्च करने वाला | मितव्ययी |
आलोचना करने वाला | आलोचक |
जन्म से अंधा | जन्मांध |
देखने योग्य | दर्शनीय |
बहुत थोड़ा जानने वाला | अल्पज्ञ |
एक नयी चीज बनाना | आविष्कार |
ऊपर की और चढ़ाई चढ़ना | आरोहण |
रक्त से रंंगा हुआ | रक्तरंजित |
मृग की तरह नेत्र वाली | मृगनयनी |
गोद लिया हुआ बालक | दत्तक |
निरीक्षण करने वाला | निरीक्षक |
वन में घूमने वाला | वनचर |
जो उत्तर न दे सके | निरूत्तर |
जिसके किसी अंग में खराबी हो | विक्लांग |
सत्य में निष्ठा रखने वाला | सत्यनिष्ठ |
सप्ताह में एक बार होने वाला | साप्ताहिक |
जिसके पास लाखों रूपये हों | लखपति |
अपने मतलब की बात सोचने वाला | स्वार्थी |
जहाँ जाया न जा सके | अगम्य |
जिसमें रस हो | सरस |
दूर की सोचने वाला | दूरदर्शी |
जो बाद में अधिकारी बने | उत्तराधिकारी |
ऊपर कहा गया | उपरोक्त |
जो किसी का पक्ष न ले | तटस्थ |
जिसे लज्जा न हो | निर्लज्ज |
जो प्रशंसा के योग्य हो | प्रशंसनीय |
बच्चों , आप तो अब अनेकार्थी शब्द पढ़ लिए हुए होगें। अपने जीवन में कुछ चरित्र की महत्व के बारे में पढ़ेगें । पढ़ाई के साथ – साथ आप लोगों को अपने जीवन में सिखना भी जरूरी है। खास कर विद्यार्थी के लिए, जो विद्यार्थी जीवन बच्चों का पहला कदम हैं । इसी बचपना में उनकों सब कुछ सिखना – पढ़ना पड़ता है।
चरित्र की महत्व
अपने जीवन में सदैव ऊपर उठते रहने के लिए मनुष्य को अपने चरित्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विनय, उदारता, सत्यवादिता, कर्त्तव्यपरायणता आदि गुण चरित्र के अंतर्गरत आते हैं, इन्हीं गुणों से एक सुन्दर चरित्र एवं चरित्रवान मनुष्य का निर्माण होता हैं।
हमारा देश 15 अगस्त सन् 1947 को आजाद हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विश्व के अन्य देशों के साथ भारत के राजनैतिक व सांस्कृतिक संबंध जुड़े। पर्यटकों के साथ – साथ राजनीतिज्ञों और साहित्यकारों को भी विदेश यात्रा के पर्याप्त अवसर मिले।
विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों के माध्यम से बहुत – से लोग विदेशों में पढ़ने गए। बहुत – से लोगों ने विदेशों में उपलब्ध आजीविका के अवसरों का लाभ उठाया । इन सबके परिणामस्वरूप प्रचुर मात्रा में यात्रा वृतांत लिखे गए। विदेश – विषयक यात्रा वृत्तों में रूस और स्वदेश – विषयक यात्रावृत्तों में कश्मीर से कन्याकुमारी तक लेखकों की दृष्टि व्याप्त रही हैं।
तो मेरे प्यारें बच्चों आज का मेरा पोस्ट कैसा लगा। अगर अच्छा लगा हो, तो अपने मन की बात कमेन्ट बाक्स में जरूर लिखें।